एक फिटनेस सेंटर एक दिन में अधिकतम 30 वाहनों की फिटनेस ही बना सकता है
प्रादेशिक परिवहन कार्यालय, सीकर के परिवहन निरीक्षक महेंद्र कुमार मीणा ने कमिश्नरी के मौखिक आदेश पर पहले दिन 8 अप्रैल को 13 वाहनों की मैन्युअली फिटनेस तैयार की गई थी। गौरतलब है कि जब एक फिटनेस सेंटर को गाड़ी का कंपलीट टेस्ट करने में 20 मिनट से अधिक समय लगता हैं। ऐसे में एक फिटनेस सेंटर अधिकतम 30 वाहनों की फिटनेस ही बना सकता है। ऐसे में परिवहन निरीक्षक मैन्युअली इंस्पेक्शन कर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। सात साल से मैन्युली फिटनेस बंद- फिटनेस सेंटरों पर ब्रेक टेस्टर मशीन, लाइट टेस्टर मशीन, स्स्पेंशर मशीन, कंपलीट इंजन चैकिंग मशीन, पॉल्यूशन टेस्टिंग मशीन, साइड स्लीप मशीनें आदि से ऑटोमेटेड मशीनें लगी हुई है। इन मशीनों से ही प्रदेश के 83 फिटनेस सेंटरों में वाहनों की फिटनेस बनाई जा रही है। प्रदेश में पिछले सात साल पहले ही मैन्युअली फिटनेस को बंद करके फिटनेस सेंटरों से ही वाहनों की फिटनेस तैयार की जा रही है।
हाइकोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे परिवहन अधिकारी-
जोधपुर हाइकोर्ट की डबल बैंच ने 2 दिसंबर 2019 को निर्णय दिया था कि अधिकृत फिटनेस सेंटर होने की स्थिति में यही से फिटनेस बनाई जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया था कि यदि आरटीओ व डीटीओ कार्यालय से फिटनेस सेंटर की दूरी 10 किलोमीटर हो तो भी फिटनेस सेंटर से ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। ऐसे में परिवहन विभाग के कमिश्नर व संबंधित आरटीओ, डीटीओ और परिवहन निरीक्षक मैन्युअली फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करके जोधपुर हाइकोर्ट की डबल बैंच के फैसले की अवहेलना कर रहे हैं। इस संबंध में आरटीओ सीकर एमपी मीणा को दो मोबाइल नंबरों पर फोन किया गया और मैसेज भी किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
मैन्युअली फिटनेस से दुर्घटनाएं बढ़ने की संभावना-
परिवहन विभाग से अनुमति लेकर फिजा-2028 की पोलिसी के अंतर्गत हमने ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर लगाए थे। ये केंद्र सरकार की संस्था एआरआई और आईकैट से की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार हमारे फिटनेस सेंटर ऑटोमेटिक टेस्टिंग सेंटर है। ऐसे में हमारे फिटनेस सेंटरों को बंद करके मैन्युअली फिटनेस बनाना का कोई औचित्य नहीं है। इससे तो सड़क दुर्घटनाएं बढ़ने की संभावना अधिक होगी। संदीप अग्रवाल, प्रदेश कोषाध्यक्ष, राजस्थान फिटनेस एसोसिएशन, जयपुर