अच्छी बात है कि फार्म पौंड बनवाने के कारण किसान साल भर हर सीजन में फसल ले रहे हैं। जिससे न केवल सिंचाई की सुविधा बढ़ी है, वहीं खेती का तरीका भी आधुनिक हो गया है। कृषि विभाग की मंशा है कि अगले दो वर्षों में जिले में 4000 नए फार्म पोंड बनाए जाएं तो जल संकट से जूझ रहे किसानों को सिंचाई का स्थायी समाधान मिलेगा और फसलों के उत्पादन में भी इज़ाफा होगा। किसानों के अनुसार हर साल औसतन एक मीटर से ज्यादा भू-जल स्तर काफी नीचे चला जाता है। मौजूदा दौर जल संकट से निपटने के लिए फार्म पौंड बेहद प्रभावी है।
इसलिए बढ़ा रुझान
फार्म पौंड बनाने से किसानों को रात भर जागकर फसलों की सिंचाई नहीं करनी पड़ रही है। इससे बारिश में व्यर्थ बहने वाले पानी का सरंक्षण हो सकेगा। बारिश के पानी में फसलों की बढ़वार व उत्पादन अपेक्षाकृत अधिक हो रही है। वहीं भूजल स्तर में भी बढ़ोतरी होगी। कई किसानों ने विभाग की ओर से अनुदान लिए बिना ही फार्म पौंड बना लिए और इस पौंड के जरिए फसलों की सिंचाई कर रहे हैं।
यह है योजना
फार्म पौंड बनवाने के लिए संबंधित किसान के नाम 0.3 हेक्टैयर भूमि होनी चाहिए। कृषि विभाग की ओर से कच्चे फार्म पौंड पर सामान्य किसान को एक लाख पांच हजार रुपए व प्लास्टिक लाइनिंग फार्म पौंड पर एक लाख 35 हजार रुपए का अनुदान दिया जाता है। योजना के लिए कोई भी किसान जरूरी दस्तावेजों के साथ ई मित्र पर ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। योजना का लाभ लाटरी की बजाए ऑनलाइन आवेदन की प्रायोरिटी के आधार पर ले सकेगा। गहराते भूजल संकट को देखते हुए फार्म पॉन्ड योजना किसानों के लिए फायदेमंद है। फार्म पौंड बनाने से किसान फसलों की सिंचाई खुद की जरूरत के अनुसार कर सकेगा। इससे किसान की बिजली पर निर्भरता में कमी आएगी।
रामनिवास पालीवाल, अतिरिक्त निदेशक कृषि