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श्योपुर

400 साल पुराने गणगौर मेले की कल से होगी शुरुआत, गौड़ राजाओं से जुड़ा है इसका इतिहास

Gangaur fair: राजस्थान के प्रमुख पर्व गणगौर का रंग एमपी के इस जिले में भी छाया हुआ है। 400 साल पुरानी परंपरा के तहत 1 अप्रैल से तीन दिवसीय गणगौर मेला आयोजित होगा।

श्योपुरMar 31, 2025 / 12:50 pm

Akash Dewani

400 year old Gangaur fair will start from 1st april in sheopur mp
Gangaur fair: राजस्थान के प्रमुख पर्व गणगौर का रंग श्योपुर में भी छाया हुआ है। राजस्थान से सटे मध्य प्रदेश के श्योपुर में गणगौर पर्व न केवल पारंपरिक रूप से मनाया जाता है, बल्कि 400 साल पुरानी गणगौर मेले की परंपरा भी आज तक जीवित है। सोमवार को गणगौर पूजन के बाद, 1 अप्रैल से सूबात कचहरी पर तीन दिवसीय गणगौर मेला आयोजित होगा।

गौड़ राजाओं से लेकर सिंधिया रियासत तक 400 साल पुरानी परंपरा

इतिहासकार कैलाश पाराशर के अनुसार, गणगौर उत्सव की शुरुआत गौड़ राजाओं के समय में हुई थी। लगभग 400 वर्ष पूर्व, किले में गणगौर मेले का आयोजन किया जाता था, जिसमें गुरुमहल के नीचे स्थित बाजार में गणगौर की सवारियां रखी जाती थीं। बाद में सिंधिया रियासत के दौरान सवारियों का स्थान बदलकर किले के नीचे कर दिया गया। आजादी के बाद से इस मेले का आयोजन स्थानीय समितियों द्वारा किया जा रहा है।
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शिव-पार्वती की पूजा का महत्व

गणगौर शब्द में ‘गण’ भगवान शिव का और ‘गौर’ माता पार्वती का प्रतीक है। मान्यता है कि माता पार्वती ने अखंड सौभाग्य की कामना से कठिन तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त किया था। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को और माता ने समस्त स्त्रियों को सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद दिया था।

मेले का रंग और उल्लास

31 मार्च को गणगौर पर्व मनाया जाएगा, जिसमें महिलाएं पारंपरिक रूप से शिव-पार्वती की पूजा करेंगी। सूबात चौराहे पर 1 से 3 अप्रैल तक तीन दिवसीय गणगौर मेला लगेगा। मेले में भूरी पाड़ा, पचरंग पाड़ा, ब्राह्मण पाड़ा, टोड़ी बाजार और चौपड़ जैसे मोहल्लों की गणगौर सवारियां विशेष आकर्षण का केंद्र होंगी।श्योपुर में गणगौर का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने का महत्वपूर्ण अवसर भी है।

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