होलाष्टक कब से शुरू हो रहा है (Holashtak 2025 Start and End Date)
टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार गुरुवार 6 मार्च को प्रात: 10:51 पर होलाष्टक आरंभ होंगे और 14 मार्च को दोपहर 12:24 पर होलाष्टक समाप्त होंगे। होलाष्टक का आरंभ 6 मार्च से हो जाएगा। होलाष्टक 6 मार्च से 14 मार्च तक लगेगा। होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन हो जाता है।नोटः कुछ कैलेंडर में होलाष्टक यानी फाल्गुन शुक्ल अष्टमी की शुरुआत 7 मार्च से मानी जा रही है।
क्या होता है नुकसान (Holashtak Why Inauspicious)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक में किए गए कार्यों से कष्ट और अनेक पीड़ा की आशंका रहती है, इस समय किए गए विवाह, संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।होलाष्टक को अशुभ क्यों मानते हैं (holashtak kya hota hai)
ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं। अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी तिथि पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी तिथि पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। इसका मनुष्यों पर बड़ा असर पड़ता है। इसी कारण होलाष्टक के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।माना जाता है कि होलाष्टक की अवधि में किए शुभ और मांगलिक कार्यों पर इन ग्रहों का बुरा असर पड़ता है, जिसका असर सभी राशियों के जीवन पर भी पड़ सकता है। इस वजह से जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यही कारण है कि होली से पहले इन आठ दिनों में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
होलाष्टक का महत्व (Holashtak Ka Mahatv)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि होलाष्टक के दौरान भगवान हनुमान, भगवान विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि पूजा करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही होलाष्टक के आठ दिनों में व्यक्ति को निरंतर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए (holashtak mein kya na karen)
ज्योतिषी शर्मा के अनुसार होलाष्टक के आठ दिनों तक 16 संस्कार समेत शादी विवाह और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही भूमि, भवन और वाहन आदि की भी खरीदारी को शुभ नहीं माना गया है। वहीं नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है।इसके अलावा नए निर्माण और नए कार्यों का आरंभ नहीं करना चाहिए। नए घर में प्रवेश भी इन दिनों में नहीं करना चाहिए। भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाए तो बेहतर है।
हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिए। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिए भी शांति पूजन कराई जाती है। इसके साथ ही इस दौरान किसी भी प्रकार का हवन-यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किए जाते हैं, हालांकि सामान्य पूजा पाठ में रोक नहीं है।
होलाष्टक में क्या करना चाहिए (holashtak mein kya karen)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार होलाष्टक में पूजा पाठ का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दौरान मौसम में तेजी बदलाव होता है। इसलिए अनुशासित दिनचर्या को अपनाने की सलाह दी जाती है।व्रत उपवास करने से भी आपको पुण्य फल मिलते हैं। इन दिनों में धर्म कर्म के कार्य वस्त्र अनाज व अपनी इच्छा व सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को धन का दान करने से भी आपको लाभ मिल सकता है।