सम्पादकीय : पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना होगा
आतंकी सेना और पुलिस जैसी वर्दी में थे। सभी के पास एके-47 और दूसरे हथियार थे। आतंकी हमले के बाद सामने आए वीडियो में इस बात की पुष्टि हुई है कि हथियारबंद हमलावरों ने नाम पूछकर गोली मारी। यह पर्यटकों पर ही हमला नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी हमला है, जिनकी आजीविका पर्यटन पर निर्भर है।


जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को पर्यटकों पर हुआ आतंकी हमला चिंताजनक है। यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब अमरीका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत यात्रा पर हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर हैं। आतंकी सेना और पुलिस जैसी वर्दी में थे। सभी के पास एके-47 और दूसरे हथियार थे। आतंकी हमले के बाद सामने आए वीडियो में इस बात की पुष्टि हुई है कि हथियारबंद हमलावरों ने नाम पूछकर गोली मारी। यह पर्यटकों पर ही हमला नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी हमला है, जिनकी आजीविका पर्यटन पर निर्भर है।
निर्वाचित सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद लगा था कि कश्मीर में धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है, लेकिन बीच-बीच में हुई छिटपुट आतंकी वारदातों से इस बात का संकेत मिल रहा था कि आतंकी मौके की तलाश में हैं। हाल ही पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर की बयानबाजी ने भी आतंकियों के हौसले को बढ़ाया है। उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की ‘गले की नस’ बताया था। उन्होंने ‘टू नेशन थ्योरी’ का जिक्र करते हुए हिंदुओं के खिलाफ नफरती बयान देते हुए कहा था कि पाकिस्तानियों को नहीं भूलना चाहिए कि हम उनसे अलग हैं। बदहाली और कई स्थानों पर विद्रोह से जूझ रहे पाकिस्तान को एकजुट रखने के लिए शायद जनरल मुनीर को नफरती भाषण की जरूरत महसूस हुई हो, लेकिन उनकी बातों से पाकिस्तान का भी बड़ा तबका सहमत नहीं हो सकता। इसके बावजूद कट्टरपंथियों को जनरल मुनीर की बातों से ताकत मिली होगी और उनको जनरल मुशर्रफ की याद आ गई होगी, जो भारत के खिलाफ छद्म युद्ध तेज करने के लिए जाने जाते हैं। जनरल मुनीर के बयानों से आतंकियों का दुस्साहस निश्चित रूप से बढ़ा है, इसका प्रमाण कश्मीर में हुआ आतंकी हमला है। असल में बांग्लादेश में तख्तापलट और वहां भारत विरोधी भावनाओं के उभार के बाद पाकिस्तान की शैतानी आंखों में चमक है। उसे लगता है कि अब उसे बांग्लादेश का साथ भी मिल जाएगा। चीन के साथ संबंध मजबूत करके पाकिस्तान अमरीका की कमी पूरी करने में पहले से ही लगा हुआ है। कश्मीर हथियाने के साथ ही 1971 का बदला लेने के लिए वह भारत में अशांति फैलाने की नए सिरे से कोशिश कर सकता है। यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान, भारत में आतंकी हमलों के साथ धार्मिक अलगाव भी पैदा करना चाहता है।
पाकिस्तान की इस कुटिल चाल को समझते हुए देश में अमन-चैन बनाए रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। सभी समुदायों की यह जिम्मेदारी है कि देश का माहौल नहीं बिगड़े। सरकार आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी ही। सुरक्षा एजंसियां चौकस हैं और आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूरी स्थिति पर निगाह रखे हुए हैं। इस संवेदनशील मौके पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुटता दिखानी होगी। पाकिस्तान के मंसूबों को विफल करने और उसे कड़ा जवाब देने की रणनीति पर काम करना होगा।
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