हैरानी की बात यह है कि अस्पताल में गर्मियों के दिनों में पानी की किल्लत स्थाई समस्या बन चुकी है। यदि फायर फाइटिंग सिस्टम चालू भी हो जाता है, तब भी वह कोई काम का नहीं रहेगा। इस साल पानी की किल्लत से मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ी है। टेंकरों से पानी खरीदना पड़ा है।
आग पर काबू पाने यह हैं इंतजाम
-अधिकांश जगहों पर लगाए गए हैं अग्निशमन यंत्र छोटे सिलेंडर।
-वार्ड, ओटी, एसएनसीयू, ओपीडी कॉम्प्लेक्स में वॉटर बूथ है आग बुझाने के लिए विकल्प।
-परिसर के लिए दमकल का इंतजार।
350 अस्पताल में बेड संख्या।
650 हर रोज औसतन ओपीडी संख्या
150 भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या।
22 भर्ती वार्डों की संख्या। अस्पताल में फायर सेफ्टी के लिए गुजरात की कंपनी काम कर रही है। वार्डों में स्मोक डिडक्टर लगाए जा चुके हैं। फाइटिंग सिस्टम भी लगाया जा रहा है। पंप हाउस बनाने का काम भी जल्द शुरू हो जाएगा। मार्च आखिर तक काम पूरा होने की उम्मीद है।
डॉ. सुरेंद्र विक्रम सिंह, प्रबंधक जिला अस्पताल