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आग से सुरक्षा के लिए अस्पताल में सवा साल बाद भी नहीं लग सका फायर सेफ्टी सिस्टम

-गुजरात की कंपनी को सात करोड़ में मिला था पिछले साल जनवरी में वर्क ऑर्डर
-40 फीसदी काम हुआ है पूरा, प्रबंधन का दावा मार्च आखिर तक कराएंगे पूरा काम

दमोहMar 04, 2025 / 11:56 am

आकाश तिवारी


दमोह. गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। इसके साथ ही आग लगने की घटनाएं भी सामने आना शुरू हो गई हैं। बात करें जिला अस्पताल की तो यहां भी पूर्व में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। प्रबंधन स्तर पर इस मामले में फायर सिस्टम लगवाने का काम कराया जा रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक साल में यह काम पूरा नहीं हो सका है। वर्ष २०२४ में गुजरात की कंपनी को फायर सेफ्टी सिस्टम लगाने का टेंडर दिया गया था। इसके तहत पूरे अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम, स्मोक डिटक्टर, फायर बॉल आदि लगाए जाने थे, लेकिन अभी तक सिर्फ ४० फीसदी काम पूरा हुआ है। बताया जाता है कि बजट न मिलने से यह काम सात महीने रुका रहा है। वहीं, इस साल इस काम में तेजी आई है। मार्च आखिर तक काम पूरा होना बताया जा रहा है।
अभी अस्पताल में आग पर काबू पाने के लिए छोटे सिलेंडर अधिकांश यूनिट में लगवाए गए हैं। बता दें कि इनका उपयोग आग लगने की छोटी घटनाओं पर होता है। आग भड़कने की स्थिति में आग पर काबू पाने में यह सिलेंडर बेअसर साबित होते हैं।
जिला अस्पताल अब नए 300 बेड और बढ़ाने वाला है। 600 बेड अस्पताल करने की दिशा में प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है। इस स्थिति में मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाएगी।
-इन जगहों पर हादसा हुआ तो पड़ सकती है जान मुश्किल में
अस्पताल में आग लगने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। शॉट सर्किटए बीड़ी.सिगरेट आदि की वजह से आग लगने की स्थिति बन सकती है। एसएनसीयू, ओपीडी कॉम्प्लेक्स, एमसीएच, भर्ती वार्ड ऑक्सीजन प्लांट, ब्लड बैंक, दवा स्टोर जैसी जगहों पर फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है।
-गर्मियों में तो पानी की रहती है किल्लत
हैरानी की बात यह है कि अस्पताल में गर्मियों के दिनों में पानी की किल्लत स्थाई समस्या बन चुकी है। यदि फायर फाइटिंग सिस्टम चालू भी हो जाता है, तब भी वह कोई काम का नहीं रहेगा। इस साल पानी की किल्लत से मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ी है। टेंकरों से पानी खरीदना पड़ा है।
आग पर काबू पाने यह हैं इंतजाम
-अधिकांश जगहों पर लगाए गए हैं अग्निशमन यंत्र छोटे सिलेंडर।
-वार्ड, ओटी, एसएनसीयू, ओपीडी कॉम्प्लेक्स में वॉटर बूथ है आग बुझाने के लिए विकल्प।
-परिसर के लिए दमकल का इंतजार।
फैक्ट फाइल
350  अस्पताल में बेड संख्या।
650  हर रोज औसतन ओपीडी संख्या
150  भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या।
22  भर्ती वार्डों की संख्या।

अस्पताल में फायर सेफ्टी के लिए गुजरात की कंपनी काम कर रही है। वार्डों में स्मोक डिडक्टर लगाए जा चुके हैं। फाइटिंग सिस्टम भी लगाया जा रहा है। पंप हाउस बनाने का काम भी जल्द शुरू हो जाएगा। मार्च आखिर तक काम पूरा होने की उम्मीद है।
डॉ. सुरेंद्र विक्रम सिंह, प्रबंधक जिला अस्पताल

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