जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में आतंकियों ने बेरहमी से 50-70 राउंड गोलियां चलाईं, जिसमें 28 लोग मारे गए, जिनमें दो विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। प्रारंभिक जांच से खुलासा हुआ है कि हमले में चार आतंकियों ने हिस्सा लिया, जो कैमोफ्लाज वर्दी में थे। ये आतंकी बाइसारन मीडो के पास पहुंचे और वहां मौजूद पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जांच में यह भी पता चला कि आतंकियों ने अमेरिका में बने M4 कारबाइन असॉल्ट राइफल्स और AK-47 का इस्तेमाल किया। कई पीड़ितों को सीधे सिर में गोली मारी गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
घटनास्थल से अब तक 50-70 खोखे (कारतूस) बरामद किए गए हैं, जो हमले की भयावहता को दर्शाते हैं। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार शाम तक जांच जारी थी, और अब तक की जानकारी के आधार पर केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि इस मामले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस से हटाकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी जाएगी। NIA अब पीड़ितों और चश्मदीदों के बयान दर्ज करने के बाद जांच को आगे बढ़ाएगी।
अमेरिका से हथियार खरीद आतंकियों को दे रहा पाकिस्तान!
पहलगाम हमले में M4 कारबाइन के इस्तेमाल ने एक बड़े सवाल को जन्म दिया है—आखिर ये हथियार आतंकियों तक कैसे पहुंचे? M4 कारबाइन एक अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल है, जो मुख्य रूप से अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल की जाती है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से कई सैन्य हथियार खरीदे हैं, जिनमें M4 कारबाइन भी शामिल है। संदेह जताया जा रहा है कि पाकिस्तान इन हथियारों को आतंकी संगठनों, जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा, को सप्लाई कर रहा है।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान पर ऐसे आरोप लगे हैं। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी जांच में खुलासा हुआ था कि आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना से मिले हथियारों का इस्तेमाल किया था। भारत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार उठाया है, लेकिन पाकिस्तान लगातार इन आरोपों को नकारता रहा है। पहलगाम हमले के बाद अब भारत इस मामले को वैश्विक स्तर पर जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है, खासकर अमेरिका के सामने, क्योंकि M4 कारबाइन का इस्तेमाल इस बात का संकेत देता है कि अमेरिकी हथियार गलत हाथों में पहुंच रहे हैं।
चश्मदीदों के अनुसार, आतंकी सुनियोजित तरीके से हमला करने आए थे। उन्होंने पहले इलाके की रेकी की और फिर पर्यटकों को निशाना बनाया। हमले के बाद आतंकी जंगल की ओर भाग गए, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने इलाके में व्यापक सर्च ऑपरेशन शुरू किया। स्थानीय प्रशासन ने भी सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
NIA की जांच अब इस बात पर केंद्रित होगी कि आतंकी कहां से आए, उनके हैंडलर कौन थे, और हथियारों की सप्लाई चेन क्या थी। साथ ही, यह भी जांचा जाएगा कि क्या इस हमले में स्थानीय लोगों की मिलीभगत थी। सूत्रों के मुताबिक, हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ होने की आशंका है, जिसके तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े हैं।