अटल-आडवाणी से बहुत अलग है BJP में मोदी युग! जानें कैसी 45 साल में बदली भाजपा
1980 में स्थापित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा में निहित भारतीय जनसंघ से उभरी। शुरुआत में एक मामूली खिलाड़ी, इसने 1984 में सिर्फ 2 सीटें जीतीं। आज, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, यह दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, जिसने 2019 में 303 सीटें हासिल कीं, 2024 में एनडीए सहयोगियों पर निर्भर करते हुए 240 पर आ गई। पढ़ें नवनीत मिश्र की स्पेशल स्टोरी..
देश में पिछले 11 साल से शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी रविवार को 45 साल की हो जाएगी। वर्ष 1980 में अंधेरा छंटेगा…सूरज उगेगा के आह्वान के साथ बनी भाजपा की पहले लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीट जीत पाई थी तो लेकिन आगे बढ़ते-आगे बढ़ते यह पार्टी देश में अकेले 303 सीटें जीतने में भी कामयाब हुई। अटल-आडवाणी के युग में जो भाजपा गठबंधन सहयोगियों के दबाव में पार्टी के कोर एजेंडे से दूरी बनाकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सरकार चलाने को मजबूर हुआ करती थी, वही आज 240 सीटें होने के बाद भी वक्फ संशोधन जैसे विधेयक पास करा ले जाती है। जैसे तेवर 2014 में 282 और 2019 में 303 सीटों के समय थे, वही तेवर 2024 में भी हैं, भले ही पार्टी बहुमत से चूककर 240 सीटों पर आ गई है। यह बताता है कि मोदी के दौर में भाजपा कितनी बदल चुकी है।
बीते 11 वर्षों में पार्टी का अंत्योदय और राष्ट्रवाद का लक्ष्य अटल है, लेकिन चाल और ढाल सब बदल चुकी है। आज ‘मंडल’ (सामाजिक न्याय) और ‘कमंडल’ (हिंदुत्व) दोनों को भाजपा साध रही है। यही वजह है कि आज भाजपा ऐसी स्थिति में आ गई है कि वह सेक्युलर छवि वाले सहयोगी दलों जदयू और टीडीपी को भी अपने कोर एजेंडे के साथ कदमताल के लिए मना सकती है।
चुनाव जीतने वाली मशीन
2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से पहले भाजपा एमपी, राजस्थान, गुजरात सहित 7 राज्यों में सत्ता में थी, लेकिन आज 2025 में 21 राज्यों में भाजपा नेतृत्व एनडीए की सरकार चल रही है। यूपी-उत्तराखंड और हरियाणा जैसे राज्यों में लगातार जीत का रेकॉर्ड भी बना चुकी है। अपने बूथ लेवल सहित 18 करोड़ कार्यकर्ताओं के दम पर आज भाजपा चुनाव जीतने वाली मशीन बन चुकी है।
पीढ़ी परिवर्तन
2014 से भाजपा ने सरकार और संगठन दोनों जगह सेकंड लाइन लीडरशिप तैयार करने पर जोर दिया। ऐसे युवा चेहरे आगे बढ़ाए जा रहे, जो पार्टी की राजनीति को अगले 15 से 20 साल तक बढ़ा सकें। आज मोदी कैबिनेट की औसत उम्र 60 साल से कम 58.70 साल है। सिर्फ 49 साल में अमित शाह के सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ पार्टी में ऊपर से पीढ़ी परिवर्तन की जो प्रक्रिया शुरू हुई, उसे बाद में यूपी, उत्तराखंड, गोवा, राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि राज्यों में जीत पर नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने धार दी।
हिंदुत्व के साथ सोशल इंजीनियरिंग भी
2014 से भाजपा ने हिंदुत्व के साथ जातीय संतुलन की मिली-जुली राजनीति को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। संगठन और सरकार दोनों जगह ओबीसी और दलित चेहरों की भागीदारी बढ़ाई गई। देश में पहली बार किसी केंद्र सरकार में 27 ओबीसी और 10 दलित मंत्री बने। राष्ट्रपति पद पर भी भाजपा ने आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को मौका दिया। एक दौर था, जब भाजपा सवर्ण जातियों की और शहरी पार्टी मानी जाती थी। लेकिन, 2014 से पार्टी ने सभी जातियों को बराबर मौके देकर इस टैग को मिटा दिया।
मोदी के दौर में कितनी बदली बीजेपी
2014 में भाजपा ने देश में 25 वर्षों से चली आ रही गठबंधन सरकारों की चलन पलटकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में सीटों की संख्या बढ़ाई तो 2024 में सहयोगियों के दम पर एनडीए सरकार बनाई।
भाजपा में नए कार्य
राष्ट्रीय से प्रदेश स्तर तक 13 सदस्यीय कोर ग्रुप से संगठन मजबूत
भाजपा और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नियमित सम्मेलन
देश को संगठन की दृष्टि से 7 भागों में बांटकर रणनीति बनाकर कार्य
देश के 700 से अधिक जिलों में कार्यालयों का निर्माण