शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने आज पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “मैं सीएम फडणवीस के फैसले का स्वागत करता हूं, उन्होंने खुद कहा कि मंत्रियों के कुछ ओएसडी और पीए भ्रष्टाचार में शामिल हैं और इसके लिए उन्होंने ‘फिक्सर’ (बिचौलिए) शब्द का इस्तेमाल किया था। अगर उन्होंने ऐसा कुछ देखा और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कुछ कार्रवाई की, तो सभी को इसका स्वागत करना चाहिए…”
वहीँ, सामना में बुधवार को प्रकाशित लेख के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बीजेपी नेता फडणवीस ने राज्य में अनुशासन लाने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं, जिससे शासन में पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। बीते तीन वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ा था, जिससे प्रशासनिक तंत्र भ्रष्ट हो गया था। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस स्थिति को सुधारने का निर्णय लिया और सख्त कदम उठाने की पहल की।
लेख के मुताबिक, उन्होंने न केवल भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की, बल्कि मंत्रियों द्वारा की जा रही गड़बड़ियों पर भी पैनी नजर रखी। मुख्यमंत्री ने सबसे बड़ा कदम तब उठाया जब उन्होंने मंत्रियों को अपने ‘पीए’ और ‘ओएसडी’ नियुक्त करने के अधिकार से वंचित कर दिया। इससे पहले, शिंदे सरकार के दौरान कई मंत्री अपने निजी सहायकों की नियुक्ति कर रहे थे, जिनमें से कई पर दलाली और भ्रष्टाचार के आरोप थे।
सामना में बताया गया है कि फडणवीस ने ऐसे 16 नामों को सीधे खारिज कर दिया, जो फिक्सिंग और दलाली में शामिल थे। इनमें से 12 नाम शिंदे गुट के मंत्रियों द्वारा भेजे गए थे। सवाल यह उठता है कि आखिर उनके मंत्रियों को ऐसे लोगों की जरूरत क्यों थी, जो भ्रष्टाचार और फिक्सिंग में संलिप्त थे? मुख्यमंत्री के इस फैसले को प्रशासन में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इससे प्रशासनिक व्यवस्था साफ-सुथरी बनेगी।
इतना ही नहीं, कुछ मंत्रियों ने खुद स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें सख्त हिदायत दी है कि वे ईमानदारी से काम करें और भ्रष्टाचार से बचें। सामना ने फडणवीस के इन प्रयासों को महाराष्ट्र में प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक कदम बताया है।
इस वजह से हो रही तारीफ
बता दें कि महाराष्ट्र की महायुति सरकार में विशेष कार्य अधिकारी (OSD) और निजी सहायक (PA) की नियुक्ति को लेकर खींचतान चल रही है। सीएम फडणवीस ने सोमवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनके मंत्रियों द्वारा पीए और ओएसडी के लिए कुल 125 नामों की सिफारिश की गई थी, जिनमें से 109 को मंजूरी दी गई। बाकी 16 नामों पर रोक लगाई गई है क्योंकि वे किसी न किसी मामले में जांच के दायरे में हैं या उन पर कोई आरोप है। महायुति के कुछ मंत्रियों ने उनकी पसंद का स्टाफ न मिलने पर नाराजगी भी जताई है। लेकिन सीएम फडणवीस ने दो टूक कहा है, मैं ऐसे ‘फिक्सर’ को कभी मंजूरी नहीं दूंगा, चाहे कोई कितना भी नाराज क्यों न हो।