हालांकि, इस योजना के कारण सरकार की तिजोरी पर दबाव काफी बढ़ गया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार अन्य योजनाओं के बजट भी लाडली बहना योजना के लिए इस्तेमाल कर रही है, जिससे अन्य विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा, लाखों लाभार्थी महिलाओं को योजना से बाहर किए जाने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि योजना जारी रहेगी और सिर्फ पात्र महिलाओं को ही इसका लाभ दिया जाएगा।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ महायुति सरकार ने वादा किया था कि अगर वे सत्ता में वापस आते हैं तो इस योजना की सहायता राशि को 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दी जाएगी। माना जाता है कि इस चुनावी वादे के चलते ही महायुति को चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला। लेकिन राज्य में सरकार गठन के तीन महीने बाद भी लाडली बहनों को 2100 रुपये देने को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। अब तक कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य के बजट में इसका ऐलान हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब लाभार्थी महिलाओं की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि 2,100 रुपये की सहायता राशि कब से दी जाएगी।
इस संबंध में अब राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अहम जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि लाडकी बहन योजना पहले की तरह जारी रहेगी और फिलहाल लाभार्थियों को 1,500 रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। साथ ही शिवसेना प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि जैसे ही राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, सरकार 2,100 रुपये की सहायता राशि देना शुरू कर देगी। इससे पहले, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी यही बात कही थी कि राज्य की वित्तीय स्थिति बेहतर होते ही लाडली बहनों को बढ़ी हुई सहायता राशि दी जाएगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था जल्द ही सुधरेगी और हमारी सरकार जल्द ही लाडली बहनों को 2100 रुपये देना शुरू करेगी।
अजित पवार ने क्या कहा?
लाडकी बहीन योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये प्रतिमाह देने की मांग पर वित्तमंत्री अजित पवार ने गुरुवार को विधानसभा में स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि सरकार फिलहाल योजना के तहत घोषित 1500 रुपये की सहायता राशि ही दे रही है, और जब राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, तब ही 2,100 रुपये दी जा सकेगी। उन्होंने यह भी कहा, हर चीज का प्रबंध किया जा सकता है, लेकिन पैसे का नहीं, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि लाडली बहनों को फिलहाल और इंतजार करना होगा। अब देखना होगा कि महायुति सरकार कब तक अपने चुनावी वादे को पूरा करती है, क्योंकि राज्य की ढाई करोड़ महिलाएं इसका बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।