अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, “जो राजनीतिक आकाओं के पैसों से, एजेंडेवाली मनमानी फ़िल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फिल्मों को सेंसरबोर्ड का प्रमाणपत्र देने से पहले, उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाणपत्र देखना चाहिए।
क्या सेंसरबोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?”
इसी के साथ दूसरे ट्वीट पर अखिलेश यादव ने लिखा, “लोन लेकर जानबूझकर बैंकों को धोखा देने वालों के लिए भाजपा सरकार कारपेट बिछाकर, बैंकों से इन फरेबियों से समझौता करवा रही है। किसान के कर्ज या आम जनता की बीमारी, पढ़ाई या घर के कर्ज की वसूली के लिए तो सरकार बैंकों से क्या-क्या उत्पीड़न करवाती है तो फिर धोखेबाजों पर कृपा क्यों?