संदेश में लिखा था कि उनकी बैंक लिमिट खत्म हो गई है और वे डॉक्टर के पास आए हुए हैं, इसलिए तुरंत पैसे की आवश्यकता है। सामने वाले व्यक्ति ने जल्दी पैसे भेजने का दबाव भी बनाया। हालांकि, भगत शर्मा को पहले से ही राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित इस तरह की ऑनलाइन ठगी की खबरें पढ़ रखी थी। उन्होंने सतर्कता बरतते हुए सबसे पहले संबंधित परिचित से फोन पर संपर्क किया। जब सच्चाई सामने आई तो पता चला कि उनके परिचित के साथ ऐसा कोई मामला नहीं है और यह पूरी तरह से एक फ्रॉड की कोशिश थी। भगत शर्मा ने तुरंत इस पूरे मामले की सूचना साइबर थाने में दी।
पत्रिका बना रक्षा कवच
भगत शर्मा ने बताया कि राजस्थान पत्रिका में पहले ही इस प्रकार की ऑनलाइन ठगी के बारे में पढ़ चुके थे, जिसमें बताया गया था कि ठग अक्सर किसी परिचित के नाम से अकाउंट बनाकर या नंबर हैक कर मदद के नाम पर पैसे मांगते हैं। ‘पत्रिका’ में पढ़ी गई जानकारी के कारण ही वे समय रहते सतर्क हो गए और बड़ी रकम गंवाने से बच गए। पहले इस तरह की ठगी के लिए ठग फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते थे। अब वे वाट्सएप और अन्य मैसेजिंग ऐप्स के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कोई भी ऑनलाइन माध्यम से पैसे की मांग करता है तो बिना पुष्टि किए पैसे न भेजें। हमेशा संबंधित व्यक्ति से सीधे फोन पर बात कर सच्चाई जाने।