CG Plot Price: बड़े शहरों की तरह कीमत अत्यधिक
नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत खाली प्लाट एक डिस्मिल की कीमत करीब 13-14 लाख रुपए में बिक रहा है। जबकि शहर के भीतर हिस्से में खाली दुकान की कीमत 50 से 60 लाख रुपए से भी अधिक है। रजिस्ट्री कार्यालय में कवर्धा नगर पालिका अंतर्गत जमीन का बाजार मूल्य निर्धारित है। यह शासकीय दर
केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा अनुमोदित है, लेकिन जो शासकीय दर पर तय है उससे कई गुना अधिक कीमत पर प्लाट की बिक्री हो रही है।
रजिस्ट्री कार्यालय के अनुसार कवर्धा शहर में जमीन की सबसे अधिक कीमत वीर स्तंभ चौक, ऋषभदेव चौक से सराफा लाइन, मेन मार्केट लाइन तक की है। मुख्या मार्ग से 20 मीटर तक की शासकीय कीमत वर्ष 2019 में 32 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर था, जो अब बढ़ चुका है लेकिन दूसरी ओर वास्तविक बाजार मूल्य 15 गुना अधिक है।
सबसे महंगी जमीन
शहर में जमीन की कीमत व्यवसायिक क्षेत्र की अधिक है। एकता चौक, वीर स्तंभ चौक, ऋषभदेव चौक से सराफा लाइन, गुरुनानक गेट तक, रायपुर रोड, राजनांदगांव और
बिलासपुर मार्ग की कीमत अधिक है। 18 हजार से 22 हजार प्रति वर्ग मीटर की शासकीय दर निर्धारित है। खरीदी का वास्तविक दर दो लाख रुपए प्रति वर्ग मीटर से भी अधिक है।
यह खेल चल रहा
दूसरी ओर कम दर पर कवर्धा शहर के ही जेवड़न मार्ग, घोठिया रोड, रामनगर, कैलाश नगर और संत रविदास वार्ड के बाहरी क्षेत्र की ओर जमीन उपलब्ध है। यहां शासकीय कीमत प्रति वर्ग मीटर 2600 रुपए से अधिक है। हालांकि इस दर पर तो जमीन मिलने वाली है नहीं, क्योंकि इस क्षेत्र के जमीन को बड़े
जमीन करोबारी और दलाल मिलकर खरीद चुके हैं। इसे प्लाटिंग कर टुकड़ों में बेच रहे हैं।
जमीन की कीमत को लेकर शासन की ओर से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन बाजार में वास्तविक दर में व्यवसायिक रूप से 10 गुना से अधिक भी बढ़ोतरी हो चुकी है। हालात ऐसे हैं कि 10 बाई 10 वर्ग फीट की दुकान के लिए जमीन को व्यवसायिक दृष्टि से 20 से 30 लाख रुपए में खरीद रहे हैं, जबकि शासकीय मूल्य 3 से 4 लाख रुपए भी नहीं पहुंचेगी। इस तरह की कीमत रायपुर राजधानी में होती है जो कि कवर्धा जैसे छोटे शहर में है।
शासकीय मूल्य कार्यालय तक
शहर में
शासकीय दर पर जमीन की कीमत तो तय है लेकिन उसके अनुसार बिक्री केवल रजिस्ट्री कार्यालय तक ही सीमित है। शासकीय दर अनुसार ही स्टाप कागजात लगते हैं, लेकिन बाकी कीमत और रुपए का लेनदेन क्रेता-विक्रेता और दलालों के बीच रजिस्ट्री कार्यालय के बाहर पहले से तय हो जाता है। इससे बेवजह ही प्लाट व जमीन की कीमत बढ़ते ही क्रम पर है।