कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. संदीप कुमार चंद्रवंशी के अनुसार दक्षिण पश्चिम मध्यप्रदेश के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। एक द्रोणिका दक्षिण पश्चिम से उड़ीसा तक जा रही है। इसके कारण 23 मार्च तक कटनी जिला सहित आसपास के क्षेत्र में तेज गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना है। कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि की आशंका है। किसानों को पकी हुई फसल को काटकर सुरक्षित करने कहा गया है।
बरही तहसील क्षेत्र के बरन महंगवा गांव में शाम करीब 5 बजे तेज बारिश के साथ ओले गिरे है, जिसके कारण सैकड़ों किसानों की गेंहू की फसल चौपट हो गई है। किसान भैया गोस्वामी, सुदर्शन कुशवाहा, योगेंद्र गिरी गोस्वामी, केशव गिरी गोस्वामी, नरेश कुशवाहा ने बताया कि गुरुवार की शाम तेज बारिश के साथ ओले गिरे है, जिससे गांव के अधिकांश किसानों के गेंहू सहित अन्य फसलें तबाह हो गई है। किसानों ने बताया कि आसमान से आफत की बारिश होने से कई किसानों की फासले तबाह हो गई हैं। किसानों को उम्मीद थी कि फसल बेहतर होने के बाद बाजार से लिए कर्ज को चुकाएंगे, लेकिन तेज बारिश और ओले के कारण उनकी फसल नष्ट हो गई है जिससे किसानों के मेहनत पर पानी फिर गया है। किसानों ने प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया है बारिश और ओले के कारण नष्ट हुई फसलों का जांच कर उचित मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है।

उमरियापान-ढीमरखेड़ा क्षेत्र में मौसम का मिजाज बदला बदला सा है। जिसके चलते कुछ हिस्सों में हवा के साथ बूंदाबांदी हुईं जबकि कई जगह गरज चमक के साथ ओले भी गिरे। अचानक से बदले मौसम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गुरुवार की देरशाम उमरियापान, हरदी, देवरी पाठक, भनपुरा, मुरवारी सहित अन्य गांवों में बूंदाबांदी के साथ ओले गिरे। गरज चमक के साथ करीब 10 मिनट तक बेर के आकार के ओले गिरे। जिससे फसलों के नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है। गेहूं, सरसों, मटर, अरहर व आलू की पिछेती फसल पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। आम के बौर भी झड़े हैं। सब्जियों को भी नुकसान है। किसानों का कहना है कि ओले की बारिश होने से फसलों को नुकसान है।
इन गांवों में नुकसान
उमरियापान क्षेत्र में बीते रविवार से तेज गर्मी के बाद मौसम में ठंडक आई। बीच बीच में बादल भी छाए रहे लेकिन बुधवार की रात को ढीमरखेड़ा तहसील के खमतरा और सगौना में बूंदाबांदी शुरू हुई। जबकि गुरुवार को बादल छाने और धूप निकलने का क्रम जारी रहा। देरशाम को उमरियापान में बारिश के साथ ओले भी गिरे। वहीं ढीमरखेड़ा, सिमरिया, पोंडी खुर्द, कछार गांव छोटा, खमतरा, सिलौंड़ी सहित दर्जनों से अधिक गांवों में बारिश हुई। जिससे कि खेतों में लगी फसलों को नुकसान की आशंका है। खेतों में लगी गेंहू की फसलें तैयार हैं और पकने की तैयारी में है। अचानक हवा और बारिश में खेतों में खड़ी फसलें खेतों में बिछ गई है। दलहनी फसलों को भी नुकसान हैं। जिन किसानों ने गेंहू की कटाई शुरू कर दिया है, उनकी फसल भीग गई है। वहीं जिन किसानों ने अलसी, सरसों, मसूर सहित दलहनी फसलों की कटाई कर खेतों में ही फसल को छोड़ दिया है, उन किसानों की उपज को भी नुकसान है। हवा में तो कई खेतों की फसलें दूसरे खेतों में उडकऱ चली गई।

पिपरिया सहलावन क्षेत्र के किसानों अच्छी फसल पैदावार के कयास लगाए बैठे हैं। इसी बीच गुरूवार सुबह से क्षेत्र में अचानक मौसम के बदलाव के साथ शाम से शुरू हुई बारिश के दौर ने किसानों की फसलों पर खतरा मंडराने लगा है। बिगड़े मौसम ने किसानों को चिंता में डाल दिया है, जो की शाम पांच से छह बजे के बीच हुई बारीश के बीच क्षेत्र के भटगवां और भसेड़ा आदि गांवों में चने से लेकर बेर बराबर भी ओर गिरे हैं। किसान बहादुर सिंह, देवी सिंह, आशीष, नारायण दुबे, गोविंद, बालस्वरूप, रामनाथ साहू सहित अन्य किसानों का कहना है की वर्तमान में गेहूं की फसल कहीं अधपकी तो अधिकांश खेतों में पककर खड़ी हुई है, वहीं चना, सरसों आदी फसल की कटाई का कार्य भी खेतों में जारी है, ऐसे में मौसम के इस बदलाव ने किसानों के आगे चिंता की लकीरें खड़ी कर दी है।
गरज-चमक के साथ बारिश होने से सहमे किसान
गुरुवार की सुबह से स्लीमनाबाद व बहोरीबंद तहसील क्षेत्र में अचानक मौसम बदला ओर बारिश का सिलसिला शुरू हो गया। गुरुवार के दिन, दिनभर रुक-रुककर कही तेज बारिश तो कही हल्की बूंदाबांदी का दौर चला। जानकारी के अनुसार बहोरीबंद विकासखण्ड में गेहूं का रकबा 20 हजार हेक्टेयर में है। अभी मात्र 10 फीसदी ही गेंहू की जो फसल पककर तैयार हुई, जहां उसकी कटाई-मिसाई का कार्य शुरू हो गया है। जो गेंहू की बोवनी नवम्बर माह के आखिरी सप्ताह व दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में हुई है उसके पकने में विलंब है। हालांकि दलहन -तिलहन फसल पक गईं है, जिनका कटाई-मिसाई कार्य जारी है। गुरुवार की सुबह हवा-तूफान के साथ बारिश का मौसम बन गया ओर तेज हवाओं के साथ बारिश भी हुई। मौसम में इस परिवर्तन से किसान सहम गए हैं। उनकी चार माह की मेहनत दांव पर हैं। इस फसल पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था निर्भर है। विकासखण्ड क्षेत्र में बुधवार को तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। तेज हवाओं के चलते खेतो में अधपकी गेंहू की फसल खेतों में लेट गई। जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। साथ ही कटी हुई फसल हवाओं के वेग में उड़ गई। कृषक शिवलाल यादव, पवन यादव, कृष्णकांत कुशवाहा, सुरेश विश्वकर्मा ने बताया कि फसल गिर जाने से हार्वेस्टर भी सही तरीके से कटाई कार्य नही कर जाएगा। साथ ही जो गेंहू की फसल पककर खेतों में खड़ी है हल्की बारिश होने से गेंहू की बालियों में कालापन आएगा।
बहोरीबंद क्षेत्र में 2 दिन से मौसम ने करवट बदला है। गुरुवार को दोपहर से तेज गर्जना के साथ बूंदाबांदी हुई। बारिश से किसानों के चेहरे में चिंता की लकीरें देखी जा रही हैं। खेतों में गेंहू के कटे बोझा पड़े हुए हैं। किसानों ने बताया कि यदि तेज बारिश होती है, तो गेहूं की बाली काली पड़ जाएगी। किसानों को क्षति पहुंचेगी, किसान अपने-अपने खेतों में व्यवस्था जुटाने के लिए इंतजाम में लगे हुए हैं। किसानों ने बताया कि यदि बोझा गीले हो जाएंगे तो गहाई में समस्या जाएगी, जिससे अनाज का नुकसान होगा। किसानों ने जल्दी-जल्दी अपनी फसल को समेटने के लिए इंतजाम में दिन भर लगे रहे। यदि अब यहां बारिश होती है अन्नदाता को भी बहुत समस्या जाएगी। किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।