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कानपुर

विजिलेंस ऑफिसर को 44 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट: 86 लाख रुपए की ठगी, मामला साइबर थाने में

Vigilance officer in digital arrest for 44 days: 86 lakh rupees fraud कानपुर में साइबर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। जिसमें रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर को 44 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके 86 लाख रुपए से ज्यादा की रकम ठगी की गई है। अब फ्लैट को गिरवी रखकर 50 लाख रुपए देने की तैयारी थी। साइबर और थाना पर शिकायत की गई है।

कानपुरApr 05, 2025 / 05:40 pm

Narendra Awasthi

Vigilance officer in digital arrest for 44 days: 86 lakh rupees fraud कानपुर में डिजिटल टीवी का बड़ा मामला सामने आया है जिसमें एक विजिलेंस ऑफिसर को 44 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके 86 लाख रुपए की ठगी कर ली गई। मकान को गिरवी रखकर 50 लख रुपए और देने की तैयारी थी। इस बीच विजिलेंस ऑफिसर ने अपने भतीजे को फोन करके कहा पूछा कि उसकी पेंशन क्यों नहीं आई है। अकाउंट चेक करने के बाद ठगी का खुलासा हुआ और मकान गिरवी रखने से बच गया। घटना
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उत्तर प्रदेश के कानपुर पनकी शताब्दी नगर निवासी 68 वर्षीय विनोद कुमार झा ईपीएफओ के रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर हैं।‌ उन्होंने बताया कि बीते 17 फरवरी को उनके पास एक फोन आया। सामने वाले ने अपने आप को इनकम टैक्स ऑफिसर संजय त्रिपाठी बताते हुए कहा कि मेर्सस ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी के नाम से एक कंपनी वजीरपुर नई दिल्ली में खोली है। जिसका रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। कॉरपोरेट टैक्स के रूप में 8.62 लाख रुपए जमा करना है। इसके साथ उन्होंने 2 दिन के लिए दिल्ली आने को कहा।

दो दिनों के लिए दिल्ली बुलाया गया

विनोद कुमार झा के अनुसार अपनी बीमारी का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली आने में असमर्थ हैं और उन्हें बताया कि कोई कंपनी भी नहीं खोली है। इस पर सामने वाले ने कहा कि आप ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कर दीजिए। वरना जेल जाना पड़ेगा। संजय त्रिपाठी ने इस दौरान एक पुलिस अधिकारी से बात कराई। जिसने बताया कि उनकी शिकायत दर्ज कर ली गई है और इसकी लिखित जानकारी इनकम टैक्स विभाग को भेजी जा रही है। यह भी जानकारी दी गई कि आपके मामले की जांच अधिकारी इंस्पेक्टर विक्रम सिंह हैं।

730 करोड रुपए की टैक्स चोरी का भय दिखाया

विनोद कुमार झा के अनुसार थोड़ी देर बाद विक्रम सिंह का फोन आया और उन्होंने अपने अधिकारी पायल ठाकुर से बात कराई। पायल ने अपने आपको सीबीआई का अधिकारी बताया।‌ बोली मामले की जांच शुरू कर दी गई है। 730 करोड रुपए टैक्स चोरी का मामला है। उन्होंने कहा कि किसी को इस बात की जानकारी नहीं होनी चाहिए। नहीं तो 3 साल की जेल और 5 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। बातचीत के दौरान विनोद झा काफी डर गए। उन्होंने बताया कि मैं काफी डर गया था। इसलिए किसी को इस बात की जानकारी नहीं दी।

49 लाख 50 हजार रुपए कारण ट्रांसफर

विनोद कुमार झा के अनुसार फोन करने वालों ने आईटी और सीबीआई के जांच लेटर भी उन्हें भेज दिया। जिससे उन्हें लगा कि वास्तव में जांच चल रही है। अगर यह बात घर वालों को बताई तो सभी मुसीबतें पड़ जाएंगे। यहीं से डिजिटल अरेस्ट का मामला शुरू हुआ। जांच की बात करते हुए साइबर ठगों ने 25 फरवरी को आरटीजीएस के माध्यम से 49 लाख 50 हजार रुपए ट्रांसफर कराया। जिससे मेरा बैंक अकाउंट खाली हो गया। सामने वालों की डिमांड को पूरी करने के लिए मैंने अपनी और पत्नी के एलआईसी पॉलिसी को भी तुड़वा दिया। एफडी और एलआईसी से उन्हें 26 लाख रुपए मिले। जो 15 मार्च को ट्रांसफर करा लिया गया।

गोल्ड लोन भी लिया

ज्वेलरी के संबंध में भी उनसे जानकारी प्राप्त कर 6.80 लाख रुपए का गोल्ड लोन भी करवा लिया। यह रकम 24 मार्च को ट्रांसफर हुई। विनोद कुमार झा के अनुसार साइबर ठगों ने 50 लाख रुपए डिमांड की और पूछा कि फ्लैट किसके नाम है? अप्रैल महीने उनकी पेंशन नहीं आई। उन्होंने अपने भतीजे से संबंध में पूछताछ की।

अकाउंट चेक करने के दौरान हुआ खुलासा

जिसने मुंबई में रहने वाले अपने भाई से अकाउंट चेक करने को कहा। अकाउंट चेक करने के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि 6.80 लाख रुपए का गोल्ड लोन लिया गया है। शंका होने पर मुंबई में रहने वाले भतीजा राजू झा ने देखा कि 80 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन किया गया है। इसके बाद उन्होंने बातचीत की। तभी मामले का खुलासा हुआ कि साइबर ठगों ने 44 दिनों से विनोद चाचा को अरेस्ट करके रखा है। विनोद कुमार झा ने साइबर और पनकी थाने में इस मामले के लिखित शिकायत की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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