Rajasthan News: राजस्थान का अनूठा मामला, 2 हजार क्विंटल गेहूं घोटाले में राशन डीलर्स ने कर दिया ऐसा कांड!
जांच कमेटी ने सीधे तौर पर मंगलाराम विश्नोई की ठेका फर्म जयश्री एंटरप्राइजेज के अलावा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम जोधपुर के मैनेजर राजेश पंवार को दोषी बताया है।
खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) के अंतर्गत राजस्थान के जोधपुर शहर में राशन की करीब 50 दुकानों पर आवंटित गेहूं में 2 हजार क्विंटल गबन को लेकर राज्य सरकार ने ठेका फर्म जयश्री एंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। अब जोधपुर और जोधपुर ग्रामीण में गेहूं के ट्रांसपोर्ट और हैंडलिंग के लिए नया ठेकेदार तलाशना पड़ेगा।
उधर एडीएम सिटी उदयभानु चारण की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी ने अपनी जांच में राशन के गेहूं के वितरण में गड़बड़ी में राशन डीलर्स का भी हाथ बताया। कमेटी के अनुसार राशन डीलर्स के संज्ञान में ठेका फर्म ने यह गड़बड़ी की है। राशन डीलर्स ने जान बूझकर बगैर गेहूं प्राप्त हुए अपनी पोस मशीन के ओटीपी नबर और रसीद ठेका फर्म को दे दी थी।
सितंबर से चल रहा था घोटाला
प्रदेश का यह अनूठा मामला है, जिसमें राशन के गेहूं घोटाले में खुद राशन डीलर्स ही फंसते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि जांच कमेटी ने सीधे तौर पर मंगलाराम विश्नोई की ठेका फर्म जयश्री एंटरप्राइजेज के अलावा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम जोधपुर के मैनेजर राजेश पंवार को दोषी बताया है। यह घोटाला सितंबर 2024 से चल रहा था। ऐसे में इसकी विस्तृत जांच के लिए कमेटी ने राज्य सरकार से विजिलेंस जांच करने के लिए भी कहा है। शीघ्र ही जयपुर से डीएसओ विजिलेंस अपनी कमेटी लेकर जोधपुर आ सकते हैं।
राशन डीलर्स ऐसे हुए दोषी
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से राशन की दुकानों तक गेहूं ठेका फर्म पहुंचाती है। यह पूरा सिस्टम ऑनलाइन है। राशन की दुकान में गेहूं पहुंचते ही राशन डीलर को अपनी पोस मशीन में गेहूं की मात्रा ऑनलाइन दर्ज उसका ओटीपी ठेकेदार को देते हैं। तब यह माना जाता है कि जितना गेहूं एफसीआई से गया उतना गेहूं राशन की दुकानों तक पहुंच गया। इस मामले में शहर के करीब 50 राशन डीलर्स ने गेहूं प्राप्त किए बगैर ही पोस मशीन में उसका स्टॉक चढ़ाकर ओटीपी ठेकेदार को भरोसे में दे दिया। ऐसा वे लबे समय से कर रहे थे, लेकिन इस बार ठेकेदार ने ओटीपी तो ले लिया, लेकिन गेहूं देने से मुकर गया।
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गांवों का गेहूं शहर में बांटा
जांच कमेटी ने सिंतबर, 2024 से कागजात जांचें, जहां से गड़बड़ी सामने आ रही थी। ठेका फर्म ने सितंबर से गेहूं राशन की दुकानों पर गेहूं देना कम दिया अथवा काफी अंतराल से दे रहा था। गेहूं कम पड़ने पर गांवों का गेहूं शहर में बांट दिया। यह पोल एफसीआइ के दस्तावेजों से सामने आई। उदाहरण के तौर पर गेहूं का एक ट्रक एक तारीख को वितरण के लिए निकलाता था, जो 20 तारीख को पहुंचता था। इस बीच जहां गेहूं कम पड़ता वहां सेटेलमेंट किया जाता है। सेटलमेंट की यह प्रक्रिया आगे से आगे चल रही थी, अब जाकर उसका भण्डाफोड़ हुआ।