गंभीर रोगियों को भी नहीं मिली दवा
योजना के तहत निजी अस्पतालों में इलाज में भी अब मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कैंसरग्रस्त एक मरीज के परिजन मोहित ने बताया कि उनके मरीज की कीमोथैरेपी इस योजना के तहत एक निजी अस्पताल में चल रही है, लेकिन दो बार जाने के बावजूद उनकी थैरेपी नहीं की गई। कई मरीजों के पुर्नभरण बिलों का निपटारा भी अब तक नहीं किया गया है। गौरतलब है कि इस योजना में लाभ के पात्रधारी सरकारी कर्मचारी, पेंशनर्स और उनके परिवार हैं। एक पेंशनर ने बताया कि चिकित्सक की लिखी दवा में से आधी दवाइयां आरजीएचएस स्टोर पर मिलती ही नहीं है, जिन्हें पैसे देकर खरीदना पड़ रहा है।
बिना विशेषज्ञता दवाइयां लिख रहे
सरकारी अस्पतालों में आने वाले रोगियों को संस्था की स्वीकृत इमरजेंसी ड्रग लिस्ट (ईडीएल) दवाइयों के अतिरिक्त उच्चतर संस्थाओं के लिए स्वीकृत दवाइयां बिना किसी जांच और संबंधित रोग के विषय विशेषज्ञ नहीं होने के बाद भी लिखी जा रही है। निदेशक जनस्वास्थ्य की ओर से प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र लिखकर इस संबंध में चेतावनी जारी की गई है। उन्होंने कहा है कि अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना व आरजीएचएस योजना की ओर से जारी निर्देश की पालना सुनिश्चित करें।
दवा विक्रेता बोले… गड़बड़ करने वालों का भुगतान रोको
दवा विक्रेताओं का कहना है कि योजना को मजबूत करने के लिए वित्त विभाग तत्काल कदम उठाए, गड़बड़ी करने वालों पर सख्त एक्शन भी ले और उनका भुगतान भी रोक ले, लेकिन इसकी आड़ में महीनों तक सभी विक्रेताओं को परेशान किया जा रहा है। विभाग ने करीब 100 दवा विक्रेताओं को नोटिस दिए हैं। उनका भुगतान रोककर शेष सभी को तत्काल जारी किया जाए।
लालच में नहीं नियमों से काम करें दवा विक्रेता: वित्त विभाग
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गलत तरीके से नियम विरुद्ध दवा आपूर्ति करने वालों का भुगतान अभी जांच के दायरे में है। वह सब जांचें पूरी होने पर स्पष्ट होगा। विभाग ने दवा विक्रेताओं को नसीहत दी है कि वे लालच के बजाय नियमानुसार ही दवाइयों का वितरण करें।