खींवसर ने स्पष्ट किया कि मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सब-सेन्टर तक पूरी तरह से मुस्तैद व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने चेताया कि यदि किसी भी संस्थान में लापरवाही या व्यवस्था में कमी पाई जाती है, तो उस संस्थान के प्रभारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में पंखे, कूलर, एसी, वाटर कूलर, दवाएं और उपचार की सुविधाएं सुनिश्चित रहें।
एम्बुलेंस सेवाएं पूरी तरह से क्रियाशील रहें
चिकित्सा मंत्री ने सभी अधिकारियों से कहा कि वे फील्ड में नियमित निरीक्षण करें और संसाधनों की तात्कालिक उपलब्धता के लिए आरएमआरएस फंड या अन्य वैकल्पिक उपायों का उपयोग करें। मरीजों को शीघ्र राहत उपलब्ध कराने के लिए रेपिड रेस्पॉन्स सिस्टम को सक्रिय और प्रभावी बनाने के निर्देश भी दिए गए। एम्बुलेंस सेवाएं पूरी तरह से क्रियाशील रहें और उसमें सभी आवश्यक उपकरण और दवाएं मौजूद हों। हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए अस्पतालों में विशेष डेडिकेटेड वार्ड बनाए जाएं और कंट्रोल रूम 24×7 सुचारू रूप से कार्य करें।
हीटवेव से निपटने के लिए चिकित्सा विभाग का मास्टर प्लान
हीटवेव से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने और विशेष तैयारियां रखने पर जोर दिया गया। खींवसर ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद किया और स्थानीय तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि जहां भी चिकित्सा स्टाफ की कमी है, वहां स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि उपचार में कोई बाधा न आए।
खाद्य सामग्री की नियमित जांच
इस दौरान प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने खाद्य सुरक्षा पर भी बल देते हुए कहा कि गर्मियों में दूषित भोजन से बीमारियों की आशंका रहती है, ऐसे में सभी जिलों में खाद्य सामग्री की नियमित जांच की जाए। खाद्य उत्पादन इकाइयों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वे खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करें। साथ ही, आमजन को स्वच्छ भोजन और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए। हीटवेव से बचाव के लिए चिकित्सा मंत्री द्वारा दिए गए 10 प्रमुख निर्देश
- 1-सभी अस्पतालों में पंखे, कूलर, एसी, वाटर कूलर की समुचित व्यवस्था रहे।
- 2-अस्पतालों में हीटवेव उपचार के लिए दवाएं, आईसपैक आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहें।
- 3-सभी चिकित्सा संस्थान अलर्ट मोड में प्रो-एक्टिव अप्रोच अपनाएं।
- 4-रेपिड रेस्पॉन्स सिस्टम के जरिए लू-तापघात पीड़ितों को तुरंत राहत दी जाए।
- 5-एम्बुलेंस में सभी जरूरी संसाधन क्रियाशील स्थिति में हों।
- 6-प्रत्येक अस्पताल में हीट स्ट्रोक रोगियों के लिए डेडिकेटेड वार्ड बनाए जाएं।
- 7-कंट्रोल रूम 24×7 सुचारू रूप से कार्य करें।
- 8-चिकित्सा अधिकारी फील्ड में जाकर निरीक्षण करें और लापरवाही न हो।
- 9-स्टाफ की कमी वाले स्थानों पर स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था हो।
- 10-खाद्य सुरक्षा मानकों की सख्ती से पालना की जाए और दूषित खाद्य पदार्थों की नियमित जांच हो।