इससे पहले भूजल प्राधिकरण विधेयक, जिसमें जमीन से पानी निकालने पर शुल्क लगाने का प्रावधान था, उसे भी सरकार ने प्रवर समिति के पास भेजा था। इस घटनाक्रम से साफ है कि सरकार अपने ही विधेयकों पर बैकफुट पर आ रही है।
इस बार दिलचस्प बात यह रही कि भाजपा विधायकों ने भी इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर सवाल खड़े किए और विरोध दर्ज कराया। कांग्रेस ने विधेयक को जनमत के लिए भेजने की मांग की, जिसे अस्वीकार कर दिया गया, जिसके बाद विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।
सिलेक्ट कमेटी को भेजने पर क्यों हुआ विवाद?
आपको बता दें कि भू-राजस्व संशोधन बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर विधानसभा में जमकर बहस हुई। बहस के दौरान विधेयक में जो मुख्य विवादित बातें निकलकर सामने आई हैं, वो ये हैं- - रीको (RIICO) को लैंड यूज चेंज करने का अधिकार देने का प्रावधान- पहले यह अधिकार जेडीए (JDA) और स्थानीय निकायों के पास था। अब यह अधिकार रीको को देने से बिचौलियों और अफसरशाही के हावी होने का खतरा बढ़ सकता है।
- भूतलक्षी (यानि पिछली तारीख से प्रभावी) प्रभाव से लागू करने का प्रावधान- यह प्रावधान पहले से हुई जमीन आवंटन से जुड़े मामलों को प्रभावित कर सकता है। इससे कई पुराने सौदों और लेन-देन में विवाद बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
BJP विधायकों ने भी किया विरोध
अक्सर सरकार के पक्ष में रहने वाले भाजपा विधायकों ने भी इस बिल के प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए। बीजेपी विधायक अनिता भदेल ने कहा कि रीको को लैंड यूज चेंज करने का अधिकार क्यों दिया जा रहा है? जब पहले से यह अधिकार जेडीए और अन्य निकायों को है, तो रीको को इसमें हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? अगर रीको को बदलाव करना है, तो उसे सरकारी एजेंसियों के पास वापस आना चाहिए। वहीं, निर्दलीय विधायक रवींद्र सिंह भाटी ने भी बिल के कुछ प्रावधानों का विरोध किया।
कांग्रेस ने डिविजन की मांग की
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार से इस बिल को जनमत के लिए भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को इस बिल पर भरोसा है तो इसे जनमत के लिए क्यों नहीं भेजा जा रहा? इसका उद्देश्य कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाना तो नहीं? हालांकि, स्पीकर वासुदेव देवनानी ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया, जिससे कांग्रेस ने विरोधस्वरूप विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।
संसदीय कार्यमंत्री ने किया पलटवार
कांग्रेस के वॉकआउट पर संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायकों को पता था कि आज इमरजेंसी पर चर्चा होनी है, इसलिए वे भाग गए। वे सिर्फ राजनीतिक ड्रामा कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि सरकार ने बिल को गंभीरता से लिया है और सलेक्ट कमेटी को भेजा है।
एक सप्ताह में दूसरा बिल भेजा गया
गौरतलब है कि एक हफ्ते के अंदर सरकार ने दो महत्वपूर्ण विधेयकों को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा है। इससे पहले भूजल प्राधिकरण विधेयक को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया था, जिसमें जमीन से पानी निकालने पर शुल्क लगाने का प्रावधान था। अब भू-राजस्व संशोधन विधेयक को भेजा गया है, जिसमें रीको को लैंड यूज चेंज करने का अधिकार देने की बात कही गई है। बताते चलें कि दोनों विधेयकों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार खुद ही अपने बिलों से असहज महसूस कर रही है, इसलिए अंतिम मंजूरी से पहले सलेक्ट कमेटी को भेज रही है।