फ्री मोबाइल योजना पर उठे सवाल
कमेटी ने पूर्ववर्ती सरकार की बायोमास नीति, सौर ऊर्जा नीति और मुफ्त मोबाइल वितरण योजना सहित तीन बड़ी नीतियों की समीक्षा की। कुछ में सुधार की सिफारिशें दी गईं तो कुछ के स्थान पर नई नीति लाने की अनुशंसा की गई। फ्री मोबाइल वितरण योजना को लेकर कमेटी ने साफ तौर पर कहा कि योजना का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका और महिलाओं में असंतोष भी देखने को मिला, खासतौर से युवा बालिकाएं योजना से वंचित रहीं।
स्वास्थ्य बीमा योजना की भी हुई समीक्षा
पूर्व सरकार द्वारा शुरू की गई मुफ्त स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर भी समीक्षा हुई। कमेटी ने अन्य राज्यों के सफल मॉडल का अध्ययन करने का सुझाव दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने योजना को आयुष्मान भारत योजना के साथ मर्ज कर दिया, ताकि बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। समीक्षा में करोड़ों रुपये के नॉन-BSR दरों वाले टेंडर भी जांच के घेरे में आए। साथ ही, राजस्थान ड्रग्स फार्मास्यूटिकल लिमिटेड के तहत 600 करोड़ के मेडिकल ऋण के उपयोग को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी। कमेटी ने इस मामले में कहा कि यदि कोई अधिकारी दोषी पाया गया तो बख्शा नहीं जाएगा।
भूमि आवंटन पर दिखा कड़ा रुख
समीक्षा के दौरान करीब 300 मामले भूमि आवंटन से जुड़े पाए गए। कई मामलों में डिमांड राशि जमा नहीं करवाई गई थी, बावजूद इसके कब्जा दे दिया गया। कमेटी ने सिफारिश की कि ऐसे प्रकरण विभागीय स्तर पर निरस्त किए जाएं।
जहां आवंटन पत्र और कब्जा दोनों दे दिए गए, वहां निरस्तीकरण नहीं होगा। लेकिन जिन प्रकरणों में डिमांड राशि के बाद भुगतान नहीं हुआ, उनकी गहन समीक्षा कर निरस्तीकरण पर निर्णय होगा।
नामकरण नीति में बदलाव की सिफारिश
सरकारी स्कूलों और भवनों के नामकरण को लेकर भी नीति परिवर्तन की सिफारिश की गई। अब कोई भी भामाशाह केवल राशि देकर अपने नाम पर भवन का नामकरण नहीं करा सकेगा। इसके लिए नई सब-कमेटी बनाई गई, जो नामकरण की प्रक्रिया को संगठित और पारदर्शी बनाएगी।
गांधी वाटिका का विभाग करेगा संचालन
पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय के अनुसार, गांधी वाटिका का संचालन ट्रस्ट को सौंपा जाना था। लेकिन कमेटी ने सिफारिश की कि इसका प्रबंधन संबंधित विभाग द्वारा ही किया जाए, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी। वहीं, कॉलेज शिक्षा आयुक्त के पद को लेकर भी कमेटी में चर्चा हुई कि यह आईएएस अधिकारी के अधीन रहे या किसी अन्य सेवा के। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय अभी शेष है।
खनन आवंटन भी समीक्षा के दायरे में
भीलवाड़ा और भरतपुर में खनन से जुड़े मामलों की भी समीक्षा की गई। भूमि आवंटन और लाइसेंस प्रक्रियाओं में नियमों के अनुपालन की स्थिति को परखा गया। कुछ मामलों में पुनः परीक्षण की सिफारिश की गई है। समीक्षा समिति के सदस्यों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे केवल उन्हीं निर्णयों पर सिफारिश करेंगे, जो अनियमित, राजनीतिक लाभ के लिए या व्यावसायिक लाभ के उद्देश्य से लिए गए हों। इस आधार पर ही समीक्षा की गई और सिफारिशें दी गईं।