राज्य सरकार इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को मिशन मोड में लागू कर रही है। परियोजना का प्रथम चरण 9400 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हो चुका है, जिसमें अकेले चम्बल एक्वाडक्ट का निर्माण 2330 करोड़ रुपए में होगा। यह संरचना पीपलदा समेल गांव से गोहाटा गांव तक फैलेगी।
वन्यजीवों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना को केंद्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है और वन भूमि प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। साथ ही, नवनेरा बैराज से मेज एनीकट तक फीडर लाइन के लिए 328 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इस परियोजना से राज्य के 17 जिलों को पेयजल और उद्योगों को जल आपूर्ति सुनिश्चित होगी। लगभग 90 हजार करोड़ रुपए लागत की संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी योजना के तहत यह कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में किए गए एमओए के बाद इस योजना को केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार का भी समर्थन प्राप्त है। यह परियोजना न केवल पूर्वी राजस्थान की प्यास बुझाएगी, बल्कि औद्योगिक विकास की धारा को भी गति देगी।