आग लगने से टूटे किसानों के सपने
घटना के बाद से ही पीडि़त किसानों का रो-रोकर बुरा हाल है। खासकर महिलाएं खुद पर काबू नहीं रख पा रही हैं। महिला किसानों का कहना है कि इस बार शीतकालीन वर्षा नहीं होने से पैदावार प्रभावित हुई है। फसलों की स्थिति ठीक नहीं थी। खेतों में जो उगा उसे काटकर ले आए थे। उम्मीद थी कि बीज और लागत वापस मिल जाएगा। लेकिन ऐन वक्त में आग ने सारे सपने तोड़ दिए। अब परिवार का पालन पोषण, लोगों की देनदारी कैसे अदा होगी इसकी चिंता सता रही है।
बैंक से कर्ज लेकर की थी खेती
किसान काशीराम धुर्वे ने बताया कि वह बैंक से किसान के्रडिट के माध्यम से 70 हजार रूपए का कर्ज लेकर फसलों के लिए खाद, बीज और सिंचाई का इंतजाम किया था। फसल की स्थिति ठीक थी। यदि यह घटना नहीं होती तो करीब करीब 40 क्विंटल के आसपास अनाज मिलता। मसूर, बटरा, तिषड़ा, मटर सब जलकर खाक हो गया है। अब परिवार के भरण पोषण की भी चिंता सता रही है, साथ ही बैंक का कर्जा कैसे अदा होगा। किसान ने बताया कि खेती के अलावा उनके पास आय का कोई दूसरा साधन भी नहीं हैं।