पंच गौरव कार्यक्रम के जिले की आर्थिक पारिस्थितिकी एवं ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा। स्थानीय शिल्प, उत्पाद, कला को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। साथ ही उत्पादों की गुणवत्ता, विपणन क्षमता में सुधार करना कार्यक्रम के उद्देश्यों में शामिल हैं। स्थानीय स्तर पर ही रोजगार अवसरों में वृद्धि के प्रयास किए जाएंगे। कार्यक्रम के प्रभावी संचालन के लिए आयोजना विभाग को नोडल विभाग बनाया है। जिला स्तर पर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। योजना में विविध कार्यों पर 4 करोड़ 78 लाख रुपए के परियोजना प्रस्ताव उच्च स्तर पर प्रेषित किए हैं।
मचकुंड का होगा विकास शहर के बड़े पर्यटन स्थल मचकुण्ड का विकास होगा। इस तीर्थ स्थल पर साफ. सफाई के कार्य, लाइट एण्ड साउण्ड शो का पुन: संचालन, पर्यटन सुविधा केंद्र स्थापित किए जाने, तीर्थ स्थल पर सीसीटीवी कैमरे, बुनियादी सेवाएं जैसे पेयजल, टॉयलेट इत्यादि का विकास होगा। जिससे पर्यटकों को सुविधा मिल सकेंगी।
करंज रोपण पर रहेगा विशेष ध्यान जिले में करंज के अनुसार पारिस्थितकी अनुकूलन को देखते हुए करंज रोपण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जिले की सभी नर्सरियों में लगभग 1 लाख 60 हजार करंज के पौधे तैयार किए जा रहे है। जिन्हें आगामी मानसून में पौधरोपण के लिए वितरित किया जाएगा।
रेड सैंड स्टोन कार्विंग को मिलेगा बढ़ावा एक जिला एक उत्पाद के तहत बलुआ पत्थर के शिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उद्यमिता विकास एवं कौशल संवर्धक के लिए प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए ेेेेेेस्थानीय समुदायों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिला कलक्टर ने बैठक में स्टोन पार्क में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए निर्देशित किया।
हॉकी से बनेगा चक दे धौलपुर! जिले में हॉकी खेल को बढ़ावा दिया जाकर स्थानीय स्तर पर लगातार हॉकी संघों के सहयोग से टूर्नामेंट आयोजित किए जाएंगे। सभी ब्लॉक में उच्च माध्यमिक विद्यालयों का चयन कर हॉकी के लिए खेल मैदानों का विकास किया जाएगा। स्थानीय स्तर पर हॉकी खेल को बढ़ावा देकर युवाओं में हॉकी खेल प्रतिभा तराशी जाएगी।
आलू की फसल को मिलेगा बढ़ावा जिले में एक जिला एवं एक उपज के तहत आलू संग्रहण, भण्डारण, ग्रेडिंग, खाद्य प्रसंस्करण सुविधाएं और शीत गृह संरचनाओं का उन्नयन किया जाएगा। स्थानीय स्तर पर आलू के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में स्थानीय समुदायों को क्षमता वर्धन गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। जिले में वार्षिक रूप से लगभग 63 हजार मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया जाता है, जो इस क्षेत्र को आलू उत्पादन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है।