महिला कर्मियों को नहीं मिल रहा न्याय
विशाखा समिति का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और शिकायतों का त्वरित समाधान करना है, लेकिन जब समिति ही निष्क्रिय हो, तो पीड़िताओं को न्याय कैसे मिलेगा? कई सरकारी विभागों में महिलाओं की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता, जिससे वे न्याय पाने के लिए पुलिस या अदालत का सहारा लेने को मजबूर हो जाती हैं।Patrika Mahila Surksha: छात्राओं को बैड टच और अश्लील इशारे करने वाला शिक्षक बोला- खर्चा-पानी ले लीजिए, लेकिन खबर मत छापिए
सिम्स मेडिकल कॉलेज: ‘विशाखा’ निष्क्रिय
सिम्स मेडिकल कॉलेज में कार्यरत महिला कर्मचारियों और छात्राओं के लिए बनी विशाखा समिति का हाल बेहाल है। पिछले महीने एक पीजी छात्रा ने अपने एचओडी पर छेड़छाड़ और प्रताड़ना का आरोप लगाया था, लेकिन समिति ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया। लिहाजा निराश होकर थक-हारकर पुलिस का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। यह मामला विशाखा समिति की निष्क्रियता और महिलाओं के लिए न्याय की लड़ाई की असलियत को उजागर करता है।समिति को स्वत: संज्ञान लेने का नियम, लेकिन हो रही अनदेखी
विशाखा समिति को यह अधिकार होता है कि वह किसी भी शिकायत पर स्वत: संज्ञान ले और बिना किसी दबाव के उचित कार्रवाई करे। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अधिकतर समितियां निष्क्रिय पड़ी हैं और शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।इसलिए जरूरी है समिति की सक्रियता
महिलाओं के कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण के लिएयौन उत्पीड़न या प्रताड़ना के मामलों का त्वरित निपटारा करने के लिए
महिलाओं को न्याय दिलाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए
कार्यस्थल पर लैंगिक समानता और समानजनक माहौल बनाए रखने के लिए