हाल के दिनों में मराठी न बोल पाने वाले अमराठी लोगों के साथ मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा बदसलूकी और मारपीट की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे राज ठाकरे की मनसे का यह आंदोलन तेजी से विवादों में घिर गया।
मराठी भाषा को लेकर मनसे का यह आक्रामक रूप ऐसे समय में सामने आया जब मुंबई समेत राज्यभर में स्थानीय निकाय चुनाव होने है। उधर, अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने की उम्मीद हैं।
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गौरतलब है कि हाल के चुनावों में बीजेपी और मनसे करीब आए हैं। पिछले साल लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने बीजेपी का समर्थन किया था, जबकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुछ सीटों पर मनसे के प्रति नरमी दिखाई थी। मराठी अस्मिता को लेकर उठाए गए इस मुद्दे से बीजेपी असहज स्थिति में आ गई थी, क्योंकि महाराष्ट्र के बैंकों में देश के अलग-अलग राज्यों से आए कर्मचारी, विशेषकर बिहार और उत्तर भारत के युवा बड़ी संख्या में कार्यरत हैं। यदि मनसे का आंदोलन और तेज होता और किसी हिंदी भाषी के साथ हिंसा होती, तो बीजेपी को इसका खामियाजा सीधे तौर पर निकाय चुनाव के साथ ही बिहार चुनाव में भी भुगतना पड़ता था।
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