भिलाई के वरिष्ठ सामजिक कार्यकर्ता सीवी भगवंत राव ने शिक्षा के अधिकार को लेकर एडवोकेट देवर्षि सिंह के माध्यम से एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की है। इसमें कहा गया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) के बच्चों के लिए यह प्रावधान शिक्षा के अधिकार में किया गया है कि 25 प्रतिशत सीटें ऐसे बच्चों को निजी स्कूलों में भी दी जाएंगी। इसमें अगर एक किलोमीटर की परिधि में रहने वालों को स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पा रहा हो तो 3 किमी या अधिक के दायरे में स्थित स्कूलों में प्रवेश दिया जाए।
इस मामले में पूर्व में चार दर्जन निजी स्कूलों को पक्षकार बनाया गया था। पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस दिया था। सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीबी में शासन की ओर से उन छात्रों की जानकारी दी गई जिन्हें निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश दिया जा रहा है। याचिककर्ता के अधिवक्ता के अस्वस्थ होने के कारण कोर्ट ने अगली सुनवाई अप्रैल माह में निर्धारित की है।
59 हजार सीटें खाली
चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में पूर्व में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने जो तथ्य पेश किये थे उसके अनुसार
प्रदेश में आरटीई एक्ट के तहत रिक्त 59 हजार सीटों के लिए करीब एक लाख 22 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से सिर्फ रायपुर जिले की बात करें तो 5 हजार सीटों के लिए 19 हजार प्रवेश आवेदन मिले हैं। टॉप 19 स्कूल जिनमें राजकुमार कालेज, डीएवी, डीपीएस समेत कई बड़े स्कूल शामिल हैं, यहां बमुश्किल 3 प्रतिशत ही प्रवेश हो रहा है।