सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील बी गोपाकुमार ने पक्ष रखते हुए मामले की गंभीरता के आधार पर सोनवानी की जमानत का विरोध किया। बता दें कि सीजी पीएससी 2021 में चयनित 18 अभ्यर्थियों के घरों में इस घोटाले को लेकर छापेमारी भी की गई थी। सभी के घरों में दो-दो दिनों तक तलाशी ली गई थी। तब अभ्यर्थियों के यहां 300 से ज्यादा किताबों-नोटबुक को पढ़ा गया। मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप की जांच की गई। जांच के दौरान एक चयनित अभ्यर्थी के यहां डायरी में लेनदेन का हिसाब भी मिला था।
अभ्यर्थियों, उनके परिजन के बैंक खातों की जांच के अलावा सीबीआई ने उनके साथ पीएससी के अफसरों से बातचीत की 5 साल की कॉल डिटेल और लोकेशन भी खंगाल डाली। इसी के आधार पर सीबीआई ने पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के समय सोनवानी सरगुजा में अपने गांव से मैनपाट जा रहे थे, जहां उसका आलीशान फॉर्म हाउस है। बताया जाता है कि, इसे सोनवानी ने अपनी काली कमाई से ही बनवाया था।
अफसर बनाने रिश्तेदार कर दिए सलेक्ट
जांच में पता चला कि सोनवानी ने भतीजे नीतेश सोनवानी, बड़े भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले, भाई की बहू दीपा अजगले, बहन की बेटी सुनीता जोशी समेत 5 रिश्तेदारों का चयन कराया था। इसके अलावा पीएससी सचिव जीवन किशोर के बेटे सुमित ध्रुव, भूपेश सरकार में राज्यपाल के सचिव रहे अमृत खलखो की बेटी नेहा खलखो, बेटा 7 निखिल, डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी ध्रुव, कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल, एक उद्योगपति के बेटे और बहू, मंत्री के ओएसडी के साढू की बेटी खुशबू बिजौरा, कांग्रेस नेता के बेटे राजेंद्र कौशिक, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम, मीनाक्षी गनवीर समेत अन्य शामिल हैं।
पीएससी घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई को चयनित अभ्यर्थियों के यहां से प्रश्न-पत्र से जुड़े दस्तावेज मिले, उनके परिजनों के बैंक खातों से ट्रांजेक्शन की भी जानकारी ली गई। इनके आधार पर सोनवानी को समन जारी कर कई बार बुलाया गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए।