बेतवा नदी के सूख जाने की खबरों से लोग विचलित हो उठे थे। इसके बाद शासन द्वारा भी नदी के पुनर्जीवन के लिए गंभीरता से प्रयास किए गए। राज्य स्तर पर बैठक एवं विषय विशेषज्ञों से प्राप्त सुझावों के अनुसार जिलास्तर से मौके पर जल संरक्षण के कार्य प्रारंभ किए गए थे।
बेतवा नदी के झिरी ग्राम में उद्गम स्थल के आसपास से निकल रही झिर पर बोरी बंधान बनाया गया। पास में बह रहे एक नाले पर भी बोल्डर चेकडेम बनाया गया। इससे उद्गम स्थल से पानी की धार चलने लगी है। यहां करीब 6 माह बाद फिर जलधार फूटी है।
रायसेन जिला प्रशासन ने बेतवा के उद्गम स्थल के लिए आगामी कार्ययोजना बनाई है। जिसमें आसपास के किसानों के यहां 6 खेत तालाब, 2 बोल्डर चेकडेम, 1 तालाब सीरिज में आस-पास बह रहे नालों और झिरों में बोरी बंधान बनाए जाएंगे। साथ ही आगामी सीजन में पौधरोपण के साथ ही बेतवा को अविरल बनाए रखने जल संरक्षण के कार्य किए जाएंगे।
कैचमेंट एरिया के लिए विस्तृत कार्ययोजना
जिला पंचायत सीइओ अंजु भदोरिया, डीएफओ औबेदुल्लागंज, एसडीएम गौहरगंज, जनपद पंचायत सीइओ, पर्यावरण विद सुभाष पाण्डे सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारियों ने बेतवा उद्गम स्थल का निरीक्षण कर यहां किए जा रहे कार्यो को देखा। सीइओ भदोरिया ने विभागीय अधिकारियों को बताया कि पूरे कैचमेंट एरिया के लिए विस्तृत कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है। हमें अपने प्रारंभिक कार्यों को समय सीमा में पूर्ण कर बेतवा को अविरल बनाए रखना है। झिरी में मुख्य उद्गम के अलावा 5 और झिर हैं जिनमें से 2 में जलधार निकल रहीं हैं। इन्हीं झिर के पास बोरी बांधकर दो अस्थायी चेकडैम बनाए गए थे जिससे पानी ठहरने लगा। धीरे धीरे भूजल स्तर भी बढ़ा और बेतवा के मुख्य उद्गम से फिर से पानी निकल पड़ा।
कई कदम उठाए जा रहे
बेतवा हमेशा बहती रहे इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों को खेतों में तालाब बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। झिरी गांव के आसपास कंटूर ट्रेंच (छोटे तालाब) बनाए जाएंगे। वनविभाग इसके लिए कुछ साइट्स का सर्वे भी करा चुका है। इसके साथ ही सभी 6 झिरों के आसपास तार फेंसिंग भी कराई जाएगी। गांव में एक अमृत सरोवर भी बनाया जा रहा है।