पशुपालन पर टिकी है ग्रामीण अर्थव्यवस्था
ग्रामीण इलाकों में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत खेती के साथ-साथ पशुपालन भी है। मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए दूध की बिक्री ही गृहस्थी चलाने का एकमात्र साधन है। लेकिन इस साल की शुरुआत से ही दूध के भाव गांवों में कम बने रहे। पिछली साल की तुलना में भैंस के दूध का रेट 40 रुपए प्रति लीटर और गाय का दूध 25 से 30 रुपए लीटर पर ही टिके रहे। केवल अक्टूबर में एक महीने के लिए भाव बढ़े, फिर नवंबर में दाम फिर से नीचे आ गए। इस बार गर्मी की दस्तक के साथ ही दूध पर महंगाई की मार शुरू हो गई है।
पशुपालकों की चिंता
पशुपालक अतरसिंह (दौनियापुरा) ने बताया, “गर्मी बढ़ने से पशु कम दूध देने लगे हैं और आगे यह और घटेगा। हमारी पूरी आय दूध पर ही निर्भर है।” वहीं, रामकेश तोमर (सुंहास) ने कहा, “एक माह तक 40 से 42 रुपए लीटर में दूध बेचा है, जिससे पशुओं के चारे का खर्च भी नहीं निकल पाया। अब भाव ठीक मिल रहे हैं।” यह भी पढ़े –
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खाद्य सुरक्षा अधिकारी रीना बंसल ने कहा, “गर्मी में दूध का उत्पादन कम होता है, और आगे और भी घटेगा। ऐसे में मिलावट की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए जिले में मिलावट के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।”
58 टन से घटकर 46 टन रह गया उत्पादन
ग्रामों से रोजाना 58 टन दूध का उत्पादन होता था, जिसमें अब 12 टन की गिरावट आ चुकी है। पशुपालकों के अनुसार गर्मी में मवेशी कम दूध देते हैं क्योंकि पानी की कमी से उनके शरीर में कैल्शियम की मात्रा घट जाती है। अभी गर्मी की शुरुआत है, मई-जून में हालात और बिगड़ सकते हैं। गांवों में 50 से 55 रुपए प्रति लीटर तक दूध खरीदने वाले दूधिये अब शहरी क्षेत्रों में महंगे भाव पर बेच रहे हैं।
पिछले साल कार्रवाई बनी थी सस्ते दूध की वजह
फरवरी 2024 में खाद्य सुरक्षा विभाग ने दूध माफियाओं पर कार्रवाई की थी। इसका असर यह हुआ कि व्यापारियों ने गांवों से दूध उठाना बंद कर दिया, जिससे गांवों में दूध के भाव 10 रुपए तक गिर गए थे। कुछ दूधिये चोरी-छिपे अंधेरे में दूध उठाकर डेयरियों और बाजारों तक पहुंचा रहे थे। अधिकांश गांवों में नियमित रूप से सुबह-शाम दूध का उठाव नहीं हो पा रहा था। जानकारों का मानना है कि गर्मी का यह असर अभी शुरुआत मात्र है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, दूध की उपलब्धता और घटेगी और इसके दामों में और भी तेजी आएगी। ऐसे में आने वाले महीनों में शहरवासियों की जेब और भी ढीली हो सकती है।