बताया जा रहा है कि शिकायतकर्ता अनवर कादरी ने अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर कुंडलिया डैम में ठेका लिया था। नंवबर महीने से उनका काम शुरु हो गया था, लेकिन मत्स्य अधिकारी द्वारा लगातार 3 लाख रुपए की मांग की जा रही थी। ज्यादा पैसे न आने के कारण पीड़ित द्वारा पैसे नहीं दिए गए थे। इसके बाद दो महीने से अनवर को काम नहीं करने दिया जा था। उसके खिलाफ कई शिकायतें कार्यालय में की गई थी। जिसके कारण वह लगातार परेशान हो रहा था।
इसके बाद उसने पूरे मामले की शिकायत मत्स्य विभाग के एमडी को की, लेकिन उसे सिर्फ जांच का आश्वासन दिया गया। वहां भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उसने 1 अप्रैल को अपने साथियों के साथ मिलकर भोपाल आया और लोकायुक्त एसपी को शिकायत कर दी। जिसके बाद मामला सही पाया गया, तो भोपाल से एक टीम राजगढ़ भेजी गई।

1 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा
मुबारक गौरी के द्वारा ठेकेदार को जीरापुर बुलाया गया। यहां छापीहेड़ा नाके पर एक लाख रुपए लिए लेते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद अधिकारी सुरेखा सराफ की तलाश की गई तो वह न तो दफ्तर में मिली ना ही घर में।
मुबारक गौरी शिकायतकर्ता से पैसे लेने के लिए सुरेखा सराफ के कहने पर गया था। जिसके चलते पूरे मामले में महिला अधिकारी को ही आरोपी बनाया गया है। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7, 12 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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इस पूरे मामले पर अनवर कादरी का कहना है कि मैं 4 माह से काफी परेशान था कई बार मैंने मैडम को समझाने का प्रयास किया। लेकिन वह कभी टेंडर निरस्त करने की धमकी देती, तो कभी झूठी शिकायत में फंसाने की बात कहती। मैं काम ही नहीं कर पा रहा था। इस कारण लोकायुक्त पुलिस को शिकायत की। मैं तीन लाख रुपए हर महीने कहां से देता। वहीं, लोकायुक्त टीआई रजनी तिवारी ने बताया कि ठेकेदार द्वारा 1 अप्रैल को लोकायुक्त में शिकायत की गई थी। जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों पर हमारी पूरी टीम राजगढ़ पहुंची। यहां हमने मत्स्य महासंघ अधिकारी द्वारा भेजे गए अस्थाई कर्मचारियों को रंगे हाथों 1 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया। लेकिन सुरेखा सराफ को जानकारी लगने के बाद वह नहीं मिली है। दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।