आशियाना बनाना पांच साल में तीन गुना हुआ महंगा
रेत, गिट्टी और सरिया पर सर्वाधिक बढ़ी महंगाई


आशियाना बनाना पांच साल में तीन गुना हुआ महंगा
रामू तोमर गोहद. अब घर की चार दीवारी और छत बनाना आसान नहीं है। वर्ष 2018 के मुकाबले रेत, गिट्टी और सरिया पर तीन गुना महंगाई बढ़ गई है। ऐसे में 400 से 500 रुपए रोज कमाने वाले व्यक्ति के लिए घर बना पाना नामुमकिनसा हो गया है।
गोहद क्षेत्र में औसतन हर महीने 40 से 50 भवन निर्माण किए जा रहे हैं। जबकि पांच साल पूर्व नए भवन निर्माण कार्यों की औसत संख्या 150 से 170 थी। महंगाई बढऩे के चलते कई अधूरे निर्माण पूरे नहीं हो पा रहे हैं। लिहाजा नगर के अलावा आसपास के कस्बाई क्षेत्र में लगभग एक हजार भवन तीन या चार साल से अधूरे पड़े हैं।
– रेत पर तीन गुना महंगाई बढऩे की ये वजह
रेत से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली या ट्रक, डंपर से अवैध वसूली बंद हो तो बाजार में आम आदमी के लिए रेत की ट्रॉली लगभग 3000 रुपए में उपलब्ध हो सकती है। वहीं ट्रक या डंपर का रेत जो करीब 40 हजार रुपए में मिल रहा है वह 20 से 22 हजार रुपए में मिल सकता है। एक ट्रक चालक व दूसरे ट्रैक्टर चालक ने बताया कि खदान से रेत भरने के बाद रॉयल्टी देने के अलावा करीब चार थाना सीमा से गुजरने पर उन्हें अवैध वसूली देनी होत है। इसमें ट्रैक्टर ट्रॉली पर दो हजार और ट्रक, डंपर पर करीब 15 हजार से ज्यादा नाहक खर्च हो जाते हैं।
– ईंट के भाव भी बढ़ा रही अवैध वसूली
वर्ष 2018 में नंबर 1 ईंट भाव 1500 रुपए प्रति हजार था जबकि इन दिनों 2800 रुपए प्रति हजार की दर है। ईंट भट्टा संचालकों की मानें तो ईंट का परिवहन किए जाने के दौरान उन्हें भी अवैध वसूली देनी पड़ती है जिसका सीधा भार आमजन पर पड़ रहा है।
वर्ष 2018 के भाव वर्ष 2023 के भाव
गिट्टी से भरा डंपर- 12000 32000
रेत से भरा डंपर – 15000 40000
सरिया प्रति क्विंटल- 2800 9000
सीमेंट प्रति बोरी- 210 460
ईंट प्रति हजार- 1500 2800
– तीन साल से मकान का निर्माण पूरा नहीं कर पाया
चार साल पूर्व मकान का निर्माण शुरू कराया था। व्यक्तिगत कारणों से निर्माण कार्य बंद किया तो महंगाई अत्याधिक हो जाने से फिर शुरू ही नहीं करवा पाया। अब बिल्डिंग मेटेरियल की कीमतें तीन गुना से ज्यादा हो गई हैं।
सुरेश सिंह तोमर, गोहद
– मकान बनाने की योजना ही बनाता रहा, अब बूते से बाहर हो गया है
तीन साल पूर्व पक्का घर बनाने के लिए योजना बनाई थी। शुरूआत करने के कुछ महीनों में ही महंगाई इतनी बढ़ गई कि निर्माण कार्य अधूरा ही छोडऩा पड़ा। मकान का कार्य अभी तक पूरा नहीं कर पाए।
रामवीर सिंह गुर्जर, गोहद चौराहा
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