300 करोड़ का प्रोजेक्ट 850 करोड़ तक पहुंचा, चरम पर भ्रष्टाचार की पोल खुली
मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने महाकाल लोक को लेकर कांग्रेस के प्रदेश व्यापी आंदोलन की रणनीति का खुलासा करते हुए सरकार पर सीधे निशाना साधा है। इसे लेकर 24 जून को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन आंदोलन कर ज्ञापन दिया जाएगा। हमारे नेता कमलनाथ के नेतृत्व में इस पर बैठक में निर्णय हो चुका है। अपने बाइपास रोड स्थित टिकासरा पर पत्रकारों से चर्चा मं डॉ सिंह ने यह आरोप लगाए।


भिण्ड. डॉ. सिंह ने आरोप लगाया कि सप्तऋषियों की प्रतिमाएं बगल में ही भगवान झूलेलाल की प्रतिमा से 30 गुना ज्यादा कीमत पर लगवाने के बावजूद जरा सी तेज हवा में खंडित हो गईं। जबकि झूलेलाल की प्रतिमा की लागत 4.11 लाख रुपए आई। देश के 125 करोड़ से अधिक सनातनियों की आस्था से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि 100 साल की गारंटी वाली प्रतिमाएं सात माह में गिर गईं। यह सब गुजरात की कंपनियां कर रही हैं। उन्होंने महाकाल लोक परिसर में साहित्य बेचने सहित अन्य कार्यों को निजी हाथों में सौंपने को भी नियम विरुद्ध बताया है। इन सारे कार्यों की जांच उच्च या सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता में होनी चाहिए ताकि हकीकत सामने आ सके। विधायक मेवाराम जाटव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष खिजरमोहम्मद कुरैशी, जिलाध्यक्ष मान सिंह कुशवाह, शहर अध्यक्ष डॉ. राधेश्याम शर्मा, कॉपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष उदयप्रताप सिंह सेंगर, जिला पंचायत सदस्य धर्मेंद्र सिंह भदौरिया मौजूद रहे।
सतपुड़ा भवन में आग भ्रष्टाचार के सबूत मिटाने का षडय़ंत्र
नेता प्रतिपक्ष डॉ. सिंह ने 12 जून को सतपड़ा भवन में लगी आग को भी भ्रष्टाचार के सबूत मिटाने का षडय़ंत्र बताया। उन्होंने कहा कि यहां ई-टेंडरिंग घोटाला, नर्सिंग घोटाला की सीबीआई जांच कर रही है। उसमें फर्जी संस्थाओं से संबंधित दस्तावेज थे, जांच न्यायालय के आदेश पर सीबीआई कर रही थी, स्वास्थ्य विभाग के करोड़ों रुपए के टैंडर घोटाले की फाइलें भी वहीं थीं, इनमें गुजरात की कंपनियोंं के टैंडर हैं। मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने और मोदी को खुश करने के लिए सारे कार्य गुजरात की कंपनियों को दे रहे हैं। महाकाल लोक का एग्रीमेंट भी गुजराती में है। आयुष्मान घोटाला भी हुआ है। डॉ. सिंह ने कहा कि जो स्टेथोस्कोप 600-700 रुपए का आता है, वह सात हजार रुपए तक खरीदा गया है। अनुसूचित जनजाति विभाग के लिए 3500 करोड़ का बजट कागजों में खर्च हो गया, जांच में कई पकड़े भी गए। वास्तविक पात्रों को लाभ नहीं मिला। गणवेश भी नहीं बंटी और करोड़ों का भुगतान हो गया। इन सब घोटालों की फाइलें वहां रखीं थीं।
हर बार चुनाव से पहले आग लगती है
डॉ. सिंह ने आरोप लगाया कि जब चुनाव आता है तब सरकारी सचिवालय में आग लगती है। वर्ष 2008 में चुनाव के पहले, 2013 में, 2023 के पहले भी आग लगी, 2018 में भी आग लगी। छह मंजिला भवन की सभी फ्लोर पर आग लगी। दिन में आग लगी, दो हजार कर्मचारी थे। सारे कर्मचारी, दो-चार फाइलें भी बचाते तो बच जाती थीं। विभिन्न टैंडरों आठ से 10 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की फाइलें जलकर खाक हुईं।
लोकायुक्त की जांच में कार्रवाई वाली फाइलें भी जलीं
286 के करीब ऐसे अधिकारी हैं, जिन पर लोकायुक्त ने जांच सिद्ध की थी। सरकार उन पर कार्रवाई नहीं कर रही थी, यह फाइलें भी जल गईं। राजधानी में बिजली कंपनी का चीफ इंजीनियर का कार्यालय भी पास में था, वह एनओसी देता है, फायरप्रूफ का, उसका भी कार्यालय जल गया। फायर ब्रिगेड भी आग लगने के बाद 16 घंटे तक बुझाती रहीं। इसी प्रकार पुताई का घोटाला, फर्नीचर खरीद घोटाला भी आग में जलाया, जबकि इसके लिए 18 करोड़ रुपए का भुगतान था। एक मशीन पांच करोड़ रुपए की थी जो तुरंत आग बुझाती है। वह मशीन में पास में थी, लेकिन उसे चलाने वाला लापता मिला, दूसरे दिन मिला। बाकी फायर ब्रिगेड ढाई घंटे बाद पहुंची। पता चला कि भाजपा नेताओं के ठेकों की साइट पर पानी का छिडक़ाव कर रही थीं।
Hindi News / Bhind / 300 करोड़ का प्रोजेक्ट 850 करोड़ तक पहुंचा, चरम पर भ्रष्टाचार की पोल खुली