ईडी ने पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत तमिलनाडु निवासी वहीदुर रहमान जैनुल्लाबुद्दीन को गिरफ्तार किया था। उससे हुई पूछताछ से पता चला कि पीएफआइ के सदस्य भारत में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए बैंकिंग चैनलों, हवाला, दान के माध्यम से विदेशों से धन जुटाने की साजिश कर रहे थे। यह राशि पीएफआई व एसडीपीआई से मिल रही है। इसी कड़ी में 20 मार्च को ईडी ने कोटा व भीलवाड़ा में कार्रवाई की। कार्रवाई के बाद व्यापारी ने लोगों को बताया कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानता जो किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़ा हो। ईडी के अधिकारी मोबाइल में बीगोद के एक युवक का फोटो लेकर आए थे। उसके बारे में पूछताछ की। यह युवक पिछले कई समय से व्यापारी की दुकान पर पुराने मोबाइल बेचने आता था। कुछ माह पहले एक फोन के बदले 95 हजार की राशि उसके खाते में डाली थी। युवक ने यह राशि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के खाते में ट्रांसफर की थी। इसकी जानकारी मोबाइल व्यापारी को नहीं है। मोबाइल व्यापारी ने लोगों को बताया कि वह रोजाना दुकान के पीछे कागज जलाता है। जबकि मोबाइल की दुकान पर ऐसे कोई कागज का काम नहीं होता जो रोजाना जलाया जाएं। रोजाना कागज जलाने के बाद भी 31 जनवरी 2018 की बैंक पर्ची जले हुए स्थान पर इतने लम्बे समय बाद कैसे आ सकती है।
सवाल जो मांगते जवाब….
- किसी प्रतिबंधित संगठन से कोई नाता नहीं तो फिर ईडी ने सर्च क्यों की?
- मोबाइल की दुकान पर ऐसा क्या काम होता जो रोजाना कागज जलाने पड़रहे?
- बीगोद के युवक से लंबे समय से संपर्क में होने के बाद भी उसका नाम क्यों नहीं जानता?
- हैड कांस्टेबल श्यामसुंदर विश्नोई का आधार कोर्ड को दुकान के बाहर क्यों फैंकागया?
- मोबाइल व्यापारी के पुलिसकर्मियों से किस बात को लेकर अच्छे संबंध थे?