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बैंगलोर

जापान के साथ उतरेंगे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर

चंद्रयान-5 मिशन को केंद्र की मंजूरी, चंद्रयान-3 के रोवर की तुलना में दस गुणा अधिक वजनी रोवर भेेजने की योजना
वर्ष 2028-29 तक लांच किया जा सकता है मिशन

बैंगलोरMar 19, 2025 / 07:33 pm

Rajeev Mishra

चंद्रयान-3 मिशन की शानदार सफलता के बाद भारत चंद्रमा पर चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन भेजेगा। केंद्र सरकार ने पिछले साल चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दी थी और अब चंद्रयान-5 मिशन को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। ये मिशन वर्ष 2040 में चंद्रमा पर एक भारतीय को उतारने का आधार तैयार करेंगे और मूलभूत प्रौद्योगिकी क्षमताओं का विकास होगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी.नारायणन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह मिशन जापान के सहयोग से लांच किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत 250 किलोग्राम का रोवर भेजा जाएगा। दरअसल, चंद्रयान-3 मिशन में भारत ने जो रोवर (प्रज्ञान) चंद्रमा पर उतारा उसका वजन 26 किलोग्राम था। चंद्रयान-5 मिशन में भेजा जाने वाला रोवर उससे लगभग 10 गुणा अधिक वजनी होगा। चंद्रयान-4 मिशन वर्ष 2027 और चंद्रयान-5 मिशन 2028-29 तक भेजने का लक्ष्य है।

कहां तक पहुंची तैयारियां

इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक, जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो संयुक्त रूप से लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (लुपेक्स) मिशन की तैयारी काफी समय से कर रहे हैं। सितम्बर 2020 में ही दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों ने एक संयुक्त अध्ययन टीम का गठन किया था। टीम ने मिशन के पहले चरण (फेज-ए) का अध्ययन कार्य पूरा कर लिया है और एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की है। इस मिशन के तहत भेजे जाने वाले लैंडर का कन्फिगरेशन लगभग तैयार है और उसकी समीक्षा चल रही है। इसरो और जाक्सा के वैज्ञानिकों की टीम तकनीकी चुनौतियों पर बैठकें कर चुकी है।

मिशन में भारत और जापान की भूमिकाएं

योजना के मुताबिक इस मिशन के तहत भेजे जाने वाले लैंडर का विकास भारत करेगा जबकि रोवर का विकास जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा करेगी। रोवर को लैंडर के भीतर इंटीग्रेट करके चंद्रमा पर भेजा जाएगा। लैंडर के चंद्रमा के सतह पर उतरने के बाद रोवर बाहर निकलेगा और विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा। चूंकि, रोवर का वजन 250 किलोग्राम रहने का अनुमान है इसलिए लैंडर का आकार और वजन भी काफी बड़ा होगा। चंद्रयान-3 में भारत ने 1749 किलोग्राम का लैंडर भेजा था, लेकिन चंद्रयान-5 में लैंडर का वजन उससे काफी अधिक होगा।

सीधे दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की योजना

इसरो अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन में भारत ने अपना लैंडर विक्रम दक्षिणी धु्रव के करीब लगभग 69 डिग्री पर उतारा था। चंद्रयान-5/लुपेक्स मिशन में लैंडर को दक्षिणी धु्रव पर 90 डिग्री पर उतारने की योजना है। इससे यह मिशन और अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। सूत्रों के मुताबिक जापान की ओर से विकसित किए जाने वाले रोवर में नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईसा के कुछ पे-लोड हो सकते हैं। भारत अब तक चंद्रमा पर तीन मिशन भेज चुका है। चंद्रयान-1 2008 में, चंद्रयान-2 2019 में और और चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 2023 में किया गया। तीसरे चंद्र मिशन में भारत ने चंद्रमा की सतह पर उपना लैंडर उतारकर भारत विश्व के चुनिंदा देशों के विशिष्ट क्लब में अपना स्थान बनाया।

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