साध्वी शशिप्रभा आदि ठाणा ने गुरु के भक्ति भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। डॉ. पदमचंद्र मुनि ने कहा कि जय संघ की भावी पीढ़ी को मानव सेवा, स्वाध्याय, शिक्षा के अतिरिक्त साधार्मिक सेवा के प्रति भी जागरूक बनना चाहिए। सिर्फ देखादेखी नहीं अपितु स्वयं की प्रज्ञा से कार्य करें और जिस में भी कोई अच्छाई देखें उसे स्वयं ग्रहण करें।
जयपुरंदर मुनि ने भी विचार व्यक्त किए। जयधुरंधर मुनि ने आचार्य जयमल के व्यक्तित्व से रूबरू कराया । जे. के. महावीरचंद चोरड़िया ने जय पार्श्व पद्मोदय अहिंसा रिसर्च फाउंडेशन संस्था के बारे में जानकारी दी। जयमल संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रेवंतमल नाहर ने जैनाचार्य जयमल प्राच्य विद्या अनुसंधान केंद्र नागौर की रूपरेखा बताई, जिसमें आचार्य सम्राट जयमल के जीवन चरित्र पर एक म्यूजियम का निर्माण भी किया जाएगा। जे. पी. पी. जैन महिला फाउंडेशन, एल. एन. पुरम एवं अलसूर, जयमल जैन महिला मंडल ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किए। पृच्छा कार्यक्रम में जयपुरंदर मुनि ने श्रावक-श्राविकाओं के प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान किया। आचार्य पार्श्वचंद्र के मंगलपाठ के साथ अधिवेशन का समापन हुआ।