स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की निदेशक डॉ. त्रिवेणी की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों की तकनीकी टीम ने गत वर्ष नवंबर में बल्लारी व राज्य के अन्य जिलों में मातृ मृत्यु में अचानक वृद्धि से संबंधित मृत्यु लेखा परीक्षा रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। समिति ने 1 अप्रेल से 31 दिसंबर 2024 तक राज्य में हुई 464 मातृ मृत्यु, जिसमें निजी सुविधाओं में हुई मौतें भी शामिल हैं, की जांच की।
स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने शुक्रवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट के तथ्यों को सिलसिलेवार सामने रखा। रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 70 फीसदी से अधिक मातृ मृत्यु को रोका जा सकता था। 18 मातृ मृत्यु रिंगर लैक्टेट समस्या से जुड़ी थीं। 18 मातृ मृत्युओं में से 5 बल्लारी, 4 रायचूर, 4 बेंगलूरु शहरी, 3 उत्तर कन्नड़ और एक-एक यादगीर और बेलगावी से संबंधित हैं। कम-से-कम 10 मातृ मृत्यु में सेवा प्रदाताओं की लापरवाही साबित हुई।
50 फीसदी मातृ मृत्यु उन माताओं में हुई है, जिनकी आयु 19 से 25 वर्ष के बीच है। 6 फीसदी उन माताओं की मृत्यु हुई, जिनकी आयु 35 वर्ष से अधिक थी। 72 फीसदी मातृ मृत्यु पहली बार और दूसरी बार गर्भवती महिलाओं में देखी गई। 68.5 फीसदी मातृ मृत्यु उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी विकार, मधुमेह, संक्रमण आदि जैसे जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं में हुई। 65.7 फीसदी मौतें सरकारी अस्पतालों में, 22.1 फीसदी मौतें निजी अस्पतालों में, 9.69 फीसदी मौतें पारगमन में और 2.3 फीसदी मौतें घर पर हुई हैं।
मातृ मृत्यु के कारणों में उच्च रक्तचाप, रक्तस्राव, सेप्सिस आदि प्रमुख कारण निकले। 63 फीसदी मातृ मृत्युओं में सीजेरियन ऑपरेशन हुआ था, जबकि 37 फीसदी में सामान्य प्रसव हुआ। कुछ मामलों में जहां मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं है, पोस्टमार्टम जांच की भी सिफारिश की गई है।