सिरोया का यह बयान पर्यावरणविदों द्वारा चामराजनगर जिले के गुंडलूपेट में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बंडीपुर राष्ट्रीय उद्यान Bandipur National park में रात्रि यातायात प्रतिबंध हटाने के विरोध में किए गए प्रदर्शन के एक दिन बाद आया है। इस उद्यान में कई लुप्तप्राय प्रजातियां भी हैं।
उन्होंने कहा कि बंडीपुर टाइगर रिजर्व Bandipur Tiger Reserve जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। सरकार को वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए। यूनाइटेड कंजर्वेशन मूवमेंट के एक अध्ययन का हवाला देते हुए, उन्होंने बताया कि 2005 से 2007 के बीच, इस क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं में 286 वन्यजीव मारे गए। कर्नाटक सरकार ने 2009 में रात के यातायात प्रतिबंध की शुरुआत की, जिसमें रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक वाहनों की आवाजाही को प्रतिबंधित किया गया। 2019 में केरल द्वारा प्रतिबंध हटाने के लिए याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध को बरकरार रखा।अभयारण्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-766 पर रात का प्रतिबंध वन्यजीवों की मौतों को रोकने में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है। 2010 और 2018 के बीच, वन्यजीवों की मौतें घटकर सिर्फ 34 रह गईं।
सिरोया ने कहा, कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार सहित सभी राजनीतिक दलों की सरकारों ने अतीत में लगातार रात के यातायात प्रतिबंध को बरकरार रखा है। लेकिन दुर्भाग्य से, हालिया घटनाक्रम रात के यातायात प्रतिबंध को हटाने के लिए बढ़ते प्रयासों का संकेत देते हैं। उनके अनुसार गत वर्ष नवंबर में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार की प्रतिबंधों में ढील देने की वकालत करने वाली टिप्पणियों ने चिंताएं पैदा कीं। इन कदमों से यह आशंका पैदा हो गई है कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार महत्वपूर्ण प्रतिबंध को हटाने के लिए राजनीतिक दबाव के आगे झुक सकती है।मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के वन मंत्री ईश्वर खंड्रे को हाल ही में एआइसीसी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने प्रतिबंध हटाने का निर्देश दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या पर अपनी सरकार के रुख पर चुप रहने का आरोप लगाया।
सिरोया ने कहा, संरक्षण को प्राथमिकता देने के बजाय, कांग्रेस सरकार कांग्रेस के पहले परिवार को खुश करने पर केंद्रित है। यह न केवल कर्नाटक की पर्यावरण विरासत के साथ बल्कि कांग्रेस नेताओं इंदिरा गांधी और राजीव गांधी द्वारा वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के लिए दिखाई गई प्रतिबद्धता के साथ भी पूर्ण विश्वासघात है।