मामले की सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद पोस्ट करते हुए जस्टिस प्रदीप सिंह येरुर ने कहा, इस मामले को आईए के विचार के लिए ग्रीष्मावकाश के तुरंत बाद सूचीबद्ध करें, प्रतिवादी यदि कोई आपत्ति दर्ज करें तो दर्ज करें।
इससे पहले न्यायालय ने 7 फरवरी के अपने आदेश में उन्हें अग्रिम जमानत देते समय यह शर्त लगाई थी कि याचिकाकर्ता बिना पूर्व अनुमति के संबंधित न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेगा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सी वी नागेश ने तर्क दिया, मैं एक राजनीतिक दल का सीनियर राजनीतिक नेता हूं, मुझे पूरे राज्य और कभी-कभी पूरे देश में घूमते रहना पड़ता है।
इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा, सीनियर वकील और तथाकथित सीनियर राजनीतिक नेता के प्रति बहुत सम्मान के साथ उन्हें इन सभी गतिविधियों में शामिल होने पर इन सब के बारे में पता होना चाहिए, जो पूरी तरह से निंदनीय हैं। उन्हें यह दिखाने के लिए उच्च पद पर खड़ा होना चाहिए।
विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने बताया कि वे तथ्यों को अदालत के संज्ञान में लाएंगे। नागेश ने तब जवाब दिया, बशर्ते इसमें सच्चाई का आभास हो। इस स्तर पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा, अब अगले एक महीने तक आप कहीं नहीं जा रहे हैं। मैं अगले सप्ताह नहीं बैठूंगा और 21 अप्रैल के बाद फिर से बैठूंगा। छुट्टी के बाद हम मामले को सूचीबद्ध करेंगे। आप (राज्य) आवेदन पर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं और यह उनके द्वारा इस अवधि के लिए कोई बड़ी मांग नहीं है कि वे कहां जाना चाहते हैं।
इस पर कुमार ने कहा, हां, वे हमेशा ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं और अनुमति ले सकते हैं। फिलहाल शर्त को बरकरार रखा जाए। अदालत ने उनकी बात से सहमति जताई और सुनवाई स्थगित कर दी।
17 वर्षीय लड़की की मां (शिकायतकर्ता) द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, येडियूरप्पा ने पिछले साल फरवरी में बेंगलूरु में अपने आवास पर एक बैठक के दौरान उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था। 14 मार्च, 2024 को सदाशिवनगर पुलिस ने मामला दर्ज किया। बाद में इसे आगे की जांच के लिए सीआईडी को सौंप दिया गया, जिसने फिर से एफाईआर दर्ज की और आरोप पत्र दायर किया।