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बैंगलोर

पर्यावरण संरक्षण व कर्मचारी सुरक्षा पर पूरा फोकस-रमण

रेल व्हील फैक्ट्री (आरडब्ल्यूएफ) यलहंका को न केवल रेलों की धुरी बनाने में महारथ हासिल है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन में भी अग्रणी भूमिका में है। यही कारण है कि इतना बड़ा उपक्रम होने के बावजूद कार्बन उत्सर्जन ना के बराबर है। आरडब्ल्यूएफ में हर तरह की सवारी गाड़ी, माल गाड़ी व मेट्रो ट्रेनों के भी (एक्सल) धुरे बनाए जाते हैं। देश की ऐसी कोई ट्रेन नहीं होगी जिसके धुरे आरडब्ल्यूएफ में नहीं बने हों। इसी को लेकर पत्रिका ने रेल व्हील फैक्ट्री के महाप्रबंधक चन्द्रवीर रमण से मुलाकात की और रेल व्हील फैक्ट्री के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि आसपास के क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण और सुधार की दिशा में फैक्ट्री का पूरा फोकस है। यहां तक सामाजिक सरोकारों में भी रेल व्हील फैक्ट्री पीछे नहीं है।

बैंगलोरApr 06, 2025 / 06:08 pm

Yogesh Sharma

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रेल व्हील फैक्ट्री के महाप्रबंधक से बातचीत
उत्पादन बढ़ाने के साथ पर्यावरण स्वच्छ रखना भी चुनौती
हर साल नए कीर्तिमान बनाने में सबसे आगे


बेंगलूरु. रेल व्हील फैक्ट्री (आरडब्ल्यूएफ) यलहंका को न केवल रेलों की धुरी बनाने में महारथ हासिल है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन में भी अग्रणी भूमिका में है। यही कारण है कि इतना बड़ा उपक्रम होने के बावजूद कार्बन उत्सर्जन ना के बराबर है। आरडब्ल्यूएफ में हर तरह की सवारी गाड़ी, माल गाड़ी व मेट्रो ट्रेनों के भी (एक्सल) धुरे बनाए जाते हैं। देश की ऐसी कोई ट्रेन नहीं होगी जिसके धुरे आरडब्ल्यूएफ में नहीं बने हों। इसी को लेकर पत्रिका ने रेल व्हील फैक्ट्री के महाप्रबंधक चन्द्रवीर रमण से मुलाकात की और रेल व्हील फैक्ट्री के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि आसपास के क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण और सुधार की दिशा में फैक्ट्री का पूरा फोकस है। यहां तक सामाजिक सरोकारों में भी रेल व्हील फैक्ट्री पीछे नहीं है।
रमण ने बताया कि रेल व्हील फैक्ट्री भारतीय रेलवे की एक प्रमुख विनिर्माण इकाई है, जो भारतीय रेलवे और कुछ विदेशी ग्राहकों के उपयोग के लिए रेल वैगन, कोच और लोकोमोटिव के पहियों, एक्सल और व्हील सेट के उत्पादन में लगी हुई है। इसे भारतीय रेलवे के लिए पहियों और एक्सल के निर्माण के लिए 1984 में शुरू किया गया था।
उन्होंने बताया कि रेल पहिया कारखाना (आरडब्ल्यूएफ), यलहंका ने गत वित्तीय वर्ष में सबसे ज्यादा 2,01,150 पहियों का निर्माण और 98 हजार 350 व्हीलसेट का निर्माण कर नया रिकॉर्ड कायम किया है। रेल पहिया कारखाना ने 93,880 एक्सल का भी निर्माण किया। रेल पहिया कारखाना ने अपनी क्षमता का शत प्रतिशत उपयोग किया है। आरडब्ल्यूएफ ने एक अतिरिक्त एक्सल मशीनिंग लाइन चालू करके अपनी उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया है जिससे वार्षिक उत्पादन क्षमता में 42,500 एक्सल की वृद्धि होगी। रेलवे बोर्ड से नए वित्त वर्ष में रेल पहिया कारखाना को 2 लाख पहिए, 1.12 लाख एक्सल (धुरी) तथा 1.10 लाख व्हील सेट निर्माण का लक्ष्य दिया गया है।
महाप्रबंधक ने बताया कि आरडब्ल्यूएफ ने ऊर्जा संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्लांट में कई अनूठी और आधुनिक विशेषताएं हैं, जिनमें प्रौद्योगिकी और डिजाइन में अत्याधुनिक विकास शामिल हैं। उदाहरण के लिए, सिविल इंजीनियरिंग संरचनाओं की योजना आधुनिक वास्तुशिल्प अवधारणाओं के साथ बनाई गई है; पहियों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली कास्ट स्टील तकनीक कच्चे माल के रूप में रेलवे की अपनी ही कार्यशालाओं से एकत्र किए गए स्टील स्क्रेप का उपयोग करती है, अंतिम उत्पाद (पहिए, एक्सल और व्हील सेट) को मानवीय त्रुटियों के लिए बहुत कम स्क्रेप के साथ ठीक से इंजीनियर किया जाता है; कठोर गुणवत्ता नियंत्रण और उत्पादन योजना और नियंत्रण के लिए नवीनतम एमआईएस। यह अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं के लिए आईएसओ 9001: 2000 और आईएसओ 14001 प्रमाणित इकाई है।
रमण ने बताया कि सुरक्षा को लेकर आरडब्ल्यूएफ बहुत सजग है। सुरक्षा के लिए निर्धारित सभी मानकों का पूरा पालन किया जाता है। उन्होंने बताया कि रेल पहिया कारखाना अभी तक ढलाई वाले रेल पहिया, एक्सल व व्हील सेट का निर्माण कर रहा था। अब नई तकनीक फोज्र्ड से भी एक्सल बनाए जाने लगे हैं। नया प्लांट लग चुका है। उसमें कुछ और सुधार कर उससे भी एक्सल व व्हील बनाने के कार्य को तेज किया जाएगा।

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