राष्ट्र संत ने यहां स्थानक भवन में व्याख्यान में कहा कि जिसको दुनिया ठुकरा देती है उसे महापुरुष गले लगाते हैं। प्रवचन में आकर श्रावक पुण्य कमाता है। नई पौध को प्रवचन से जोडऩे की जरूरत है। धर्म के नाम पर हम आने वाली पीढ़ी में नफरत फैलाना बन्द करें। मुनि ने कहा कि हम नहीं शब्द को कहना भूल जाएं। हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। यदि सोच सकारात्मक होगी तो बहू-बेटा-पड़ौसी सभी प्यार करेंगे। मुनि ने कहा कि पहले खुद में परिवर्तन लाना होगा। तभी धर्म चलेगा। इस बात को गांठ बांध लें कि मैं कभी नकारात्मक विचार नहीं लाऊंगा। यह बात आज से ही सोच लें। कोई भी धर्म आलोचना या निंदा सिखाता ही नहीं है।
राष्ट्र संत ने कहा कि हममें सुनने की आदन नहीं है। हमें मीठी बातें अच्छी लगती है। हमें पहले हमारे विचार बदलने होंगे। नकारात्मक सोच वाला खुद निराश होता हैं औ्र दूसरों को भी निराश करता है। निराशा अंधकार है। नकारात्मक सोच वाला विनाश का काम करता है। बच्चों को नहीं कहकर उनका हौंसला नहीं तोड़ें। नकारात्मक सोच आपके हॉर्मोन्स को खराब करती है। सकारात्मक ऊर्जा होगी तो बुढ़ापा जल्दी नहीं आएगा। अपना सोच बदलो। पहले अपने आप को देखें।
मुनि ने कहा कि अधूरा ज्ञान होने से हम खुद भटक रहे हैं। किसी को भी जिंदगी में नहीं मत कहना। धर्म में स्पीड ब्रेकर नहीं है। नहीं कहने वाला महापुरुष को मिटाने का काम करता है। हम खुद ही धर्म का नुकसान कर रहे हैं। मुनि ने कहा- रोकना नहीं, टोकना नहीं, ना नहीं कहें, नकारात्मक सोच नहीं। मुनि ने कहा, प्रवचन में आने वाला श्रावक हीरे-पन्ने से कम नहीं है। प्रवचन को निखारने का काम श्रावकों का है।
इस अवसर पर जीतो के पदाधिकारियों ने 9 अप्रेल को गदग में आयोजित सामूहिक नवकार महामंत्र जाप के आयोजन के बारे में जानकारी दी और मुनि से सान्निध्य प्रदान करने का निवेदन किया। मुनि ने कहा कि नवकार महामंत्र सामूहिक जाप में जैन समाज के साथ ही सभी समाजों को आमंत्रित करें। सभी समाज के लोगों को जोड़कर इस आयोजन को जनहित का बनाएं। मुनि महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव तक गदग में विराजेंगे और इसके बाद कोप्पल की तरफ विहार करेंगे।