scriptदो साल पहले बनी सड़क में दरारें, अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत की आशंका | खुली नालियों से फैल रही बदबू, सड़क बनने के बाद अधिकारी झांकने तक नहीं आए | Patrika News
बालोद

दो साल पहले बनी सड़क में दरारें, अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत की आशंका

टेकापार से लोंडी तक दो साल पहले ही लगभग 7 करोड़ की लागत से लगभग 5 किमी तक सड़क का निर्माण किया गया। लेकिन यहां लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व ठेकेदार की लापरवाही की वजह से करोड़ों की सड़क अब टूटने लगी है।

बालोदMar 30, 2025 / 12:00 am

Chandra Kishor Deshmukh

टेकापार से लोंडी तक दो साल पहले ही लगभग 7 करोड़ की लागत से लगभग 5 किमी तक सड़क का निर्माण किया गया। लेकिन यहां लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व ठेकेदार की लापरवाही की वजह से करोड़ों की सड़क अब टूटने लगी है।
Cracks in the road टेकापार से लोंडी तक दो साल पहले ही लगभग 7 करोड़ की लागत से लगभग 5 किमी तक सड़क का निर्माण किया गया। लेकिन यहां लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व ठेकेदार की लापरवाही की वजह से करोड़ों की सड़क अब टूटने लगी है। यही नहीं ठेकेदार पर अधिकारियों की मेहरबानी के कारण स्तरहीन कार्य कराया गया। वहीं निर्माण के बाद अधिकारी दोबारा इस सड़क की स्थिति का जायजा भी लेने नहीं आए। इस मार्ग में कई जगहों पर सड़क में दरारें दिख रही हैं। इसकी मरम्मत व ठेकेदार को नोटिस देने का भी समय नहीं है। बड़ी बात यह है कि विभाग के एसडीओ फोन तक रिसीव नहीं करते।

गांव की नाली को ढंकना था पर कई जगहों पर खुला है

ग्राम खैरवाही के ग्रामीण प्रताप साहू से मिली जानकारी के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र से गुजरे सड़क पर नाली का निर्माण भी किया गया है। लेकिन जहां-जहां घरों का मुख्यद्वार है, वहां की नाली को ढंकने की बजाय खुला छोड़ दिया है। ग्रामीण स्वयं के खर्च से नालियों को ढंक नहीं पा रहे हैं। वहीं स्तरहीन नाली निर्माण के कारण जगह-जगह जर्जर स्थिति है। लेकिन जिम्मेदार विभाग इस ओर ध्यान भी नहीं दें रहे हैं।
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स्तरहीन किया गया सड़क का निर्माण

ग्रामीणों का कहना है कि इस मार्ग में जहां-जहां पुलिया का निर्माण किया गया है। वहां सही तरीके से कांक्रीट नहीं है। गड्ढे हो गए हैं, जिससे सड़क से गिट्टियां भी उखड़ रही हैं। ग्रामीणों ने कहा कि एक बार अधिकारी इस मार्ग का निरीक्षण करें, फिर समझ आ जाएगा कि आखिर इस मार्ग की गुणवत्ता क्या है। सड़क की हालत देखने से ऐसा लग रहा है कि यह सड़क ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं है।
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निर्माण के मात्र दो साल में ही मरम्मत की जरूरत पडऩे लगी

इस मार्ग के निर्माण को मात्र दो ही साल बीते हुए हैं लेकिन इन दो साल में ही यह मार्ग जर्जर हो गया है और अब मरम्मत की जरूरत पडऩे लगी है। इस मार्ग को बनाने के बाद अधिकारियों ने भी ठेकेदार से जानकारी नहीं ली और न ही खुद सड़क की स्थिति देखने पहुंचे।

उम्मीदों पर फिरा पानी

जब इस सड़क का निर्माण किया जा रहा था तब से ही इसकी गुणवत्ता को लेकर ग्रामीणों ने विरोध किया था पर ग्रामीणों के विरोध को हल्के में विभाग ने लिया और मौन रहे। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि इस सड़क का निर्माण गुणवत्ता के साथ किया जाएगा लेकिन ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फिर गया और अब सड़क की स्थिति जर्जर हो रही है।

एसडीओ को कोई मतलब ही नहीं

इस मामले में लोक निर्माण विभाग के एसडीओ एस. नाथ से जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव ही नहीं किया।

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