लम्बे समय से चल रहा था सर्वे
ओएनजीसी ने तीन साल लगातार तक बलिया से लेकर प्रयागराज तक गंगा बेसिन में सैटलाइट, भू-रासायनिक, गुरुत्वार्षण-चुंबकीय और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (एमटी) सर्वेक्षण करवाया था। सर्वे रिपोर्ट में बेसिन की गहराई में बड़े तेल व गैस भंडार होने का पता चला था। रिपोर्ट के मुताबिक इस भंडार की बदौलत देश दशकों तक कच्चे तेल और गैस के मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है।
सर्वे के आधार पर अब ओएनजीसी ने केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से एनओसी यानी अनुमति हासिल कर सागरपाली में खोदाई शुरू करवाई है। इसके लिए क्रेन एवं बड़ी मशीनें और अत्याधुनिक उपकरण मंगाए गए हैं। खोदाई के लिए करीब आठ एकड़ एरिया को बाड़ लगाकर घेर दिया गया है। तीन हजार मीटर गहरी बोरिंग के लिए रोजाना 25,000 लीटर पानी का इस्तेमाल हो रहा है। उम्मीद है कि अप्रैल के आखिर तक तेल भंडार की सतह तक बोरिंग का काम पूरा हो जाएगा। इसके लिए ओएनजीसी ने सगरपाली में चित्तू पांडे के वंशजों की साढ़े 6 एकड़ जमीन 10 लाख रुपए सालाना पर पट्टे में ली है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा।