ललितपुर सिंगरौनी रेल लाइन का निर्माण वर्ष २०१२ में पूर्ण हो गया था। यह नारगुडा और श्रीनगर गांव के मध्य से निकाली गई है। इन गांव के लोगों की आवाजाही के लिए रेल पटरी के ऊपर से पुल निर्माण किया गया है। लेकिन यह पुल इन दिनों खंडहर हो गए है। जिनके ऊपर से निकलना खतरे से कम नहीं है। इनकी दीवारों में सीमेंट के साथ लगाए पत्थर रेल पटरी की ओर गिर रहे है। इस लाइन पर इन दिनों आधा दर्जन से अधिक ट्रेने दौड़ रही है।
नारगुडा से श्रीनगर जाने वाले रामभरोसे अहिरवार और प्रीतम सौर ने बताया कि रेल पटरी के ऊपर बनाए गए पुल को१३ साल से अधिक हो गया है। रेल पटरी की ओर सुरक्षा बनी रहे, इसके लिए दोनों ओर पत्थर और सीमेंट की दीवार निर्माण थी, लेकिन यह दीवार कई हिस्सों में गिर गई है। चकरा से नारगुडा जाने वाले घनश्याम पाल ने बताया कि रेलवे स्टेशन के नजदीक कचरा का रेलवे पुल है। कुछ साल पहले ज्यादा खराब था। जिम्मेदारों ने एक तरफ सीसी और दीवार निर्माण कर दी है और नारगुडा की ओर छोड़ दी है।
पूर्व रेल उपयोगकर्ता परामर्श दात्री समिति सदस्य झांसी मंडल के विकास यादव ने बताया कि ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना की मांग को लेकर आंदोलन वर्ष 1955 से शुरू हुई थी। वर्ष 1991 में खजुराहो में रेल लाइन की आधारशिला रखी गई थी। वर्ष 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और रेल मंत्री शिलान्यास किया था। टीकमगढ़ तक रेलवे लाइन का निर्माण वर्ष 2012 में हो गया था। 26 अप्रेल 2013 को रेलवे सेवाओं से जुड़ा था। 16 जनवरी 2014 को छतरपुर रेलवे स्टेशन पर पहला रेल इंजन दौड़ाया गया था।
ऐसे निर्माण कार्यों की जानकारी निर्माण एजेंसी और अधिकारियों को दी जाएगी। ऐसे कार्यों का सुधार कराने के लिए पत्र भेजा जाएगा। जिससे ग्रामीणों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े।
मनोज सिंह, पीआरओ मंडल झांसी।