रणथम्भौर में बच्चे पर टाइगर के हमले के बाद वन्यजीव विशेषज्ञों ने उठाए सवाल, जानें क्या कहा
Ranthambore Tiger Attack: रणथम्भौर में ट्यूरिज्म बेकाबू हो गया है। जंगली जानवर से ज्यादा गाड़ियां दिख रही हैं। यह इतना ही होना चाहिए, जितना पार्क के हित में हो।
सवाईमाधोपुर। रणथम्भौर में ट्यूरिज्म बेकाबू हो गया है। जंगली जानवर से ज्यादा गाड़ियां दिख रही हैं। यह इतना ही होना चाहिए, जितना पार्क के हित में हो। नेशनल पार्क हमारी धरोहर हैं। ये भगवान के बनाए मंदिर हैं। इसे बर्बाद नहीं कर सकते। बच्चे पर बाघ के हमले की घटना सामने आने पर वन्यजीव विशेषज्ञों ने रणथम्भौर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए अपने सुझाव रखे। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश:
वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन के सेवानिवृत्त डायरेक्टर डॉ. एमके रंजीत सिंह ने कहा कि वे कई टाइगर रिजर्व में गए हैं। लेकिन यहां दो ट्रिप में जानवरों से ज्यादा मोटर गाड़ियां देखी। यहां इंसान सिर्फ टाइगर देखने पहुंच रहा है। यह टू-मच फेमिलियर का नतीजा है। जानवर भी चाहते हैं कि उन्हें कोई डिस्टर्ब नहीं करें। बाघ और इंसान के बीच एक मर्यादा होनी चाहिए। लेकिन बेकाबू ट्यूरिज्म के चलते टाइगर पालतू कुत्ते जैसे हो गए हैं। सरकार को इसे रोकना चाहिए, नहीं तो इस तरह की घटनाएं और बढ़ेंगी।
वन विभाग को बढ़ानी चाहिए मॉनिटरिंग
वन्यजीव संस्था के भूतपूर्व निदेशक विनोद माथुर ने बताया कि पिछले कुछ सालों में मानव और वन्यजीवों की आबादी बढ़ी है। रणथभौर टाइगर रिजर्व बाघों के संरक्षण के लिए बनाया है तो स्वभाविक है, यहां इनकी आबादी भी बढे़गी। बाघों के क्षेत्र में इंसान के प्रवेश करने से वे हिंसक हो रहे हैं। एक बाघ को 40 से 50 किमी. का क्षेत्र चाहिए। बाघ अपनी टेरेटरी बनाते हैं और उसकी रक्षा करते हैं। उसमें कोई विचरण करता है तो वे टेरेटरी को डिफेंड करने के लिए कई बार हमला भी कर देते हैं। इसके लिए वनविभाग को अपनी मॉनिटरिंग बढ़ानी चाहिए और लोगों को जानवर के मूवमेंट पर उन्हें सतर्क करना चाहिए।
मानवीय गतिविधि से हिंसक हो रहे वन्यजीव
स्थानीय निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता हरिप्रसाद योगी ने बताया कि रणथम्भौर में पहले कोर और बफर जोन हुआ करता था। जोगी महल तक कोर और बाकी अमरेश्वर तक बफर था, लेकिन सरकार ने पर्यटन के नाम पर बफर को समाप्त कर दिया। वर्तमान में टाइगर की संख्या भी बढ़ गई है और जगह कम पड़ गई है। जबकि लगभग 1600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल है। लेकिन चारों ओर बढ़ रहे होटल और गाड़ियों सहित बढ़ते मानवीय गतिविधि से वन्यजीव हिंसक हो रहे हैं। टाइगर बिल्ली प्रजाति का वन्यजीव है। यह बहुत शर्मीला होता है। इन्हें हद से ज्यादा डिस्टर्ब करने पर इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं।
सीटीएच बनाना ही गलत निर्णय
रणथम्भौर बाघ परियोजना के पूर्व सीसीएफ वाइके साहू ने बताया कि रणथम्भौर नेशनल पार्क पहले कोर एरिया में था। इसके चारों तरफ जो फोरेस्ट था। वह बफर एरिया था, जिसमें कुछ आबादी रहती थी। लेकिन सरकार ने पूरे ही फोरेस्ट क्षेत्र को सीटीएच बना दिया। इनमें हैलीपेड तक सीटीएच में शामिल है। पहले भी लोग गणेश मंदिर तक पैदल ही आते-जाते थे। लेकिन समय के साथ अब वाहनों का दखल भी यहां अधिक बढ़ा है। जंगल को सुरक्षित करने के लिए इसे रोकना होगा।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ अनूप के आर ने बताया कि अधिकांशत: लोगों के पैदल होने पर टाइगर के हमले के मामले सामने आए हैं। वाहन पर बाघ के हमले की वारदात अभी तक सामने नहीं आई है। इसके लिए हम प्रशासन के साथ मिलकर रणथम्भौर में पैदल जाने वाले लोगों के लिए विकल्प की तलाश की चर्चा करेंगे। ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो। जहां तक मॉनिटरिंग का सवाल है, वनविभाग की टीम लगातार जंगल में मॉनिटरिंग करती है, लेकिन जानवर के मूवमेंट को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता कि कब कहां चल दे। फिर भी लोगों को सतर्क रहना चाहिए।