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यूपी में शिक्षकों की नहीं होगी अनुकंपा नियुक्ति, हाईकोर्ट ने शासनादेश को किया रद्द

High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक के पद पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने वाले प्रदेश सरकार के पुराने शासनादेशों को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है।

प्रयागराजApr 19, 2025 / 08:08 am

Krishna Rai

UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक के पद पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने वाले प्रदेश सरकार के पुराने शासनादेशों को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21-ए के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) का भी उल्लंघन है।
यह फैसला न्यायमूर्ति अजय भनोट ने शैलेन्द्र कुमार समेत कई याचिकाकर्ताओं की अर्जियों पर सुनवाई के बाद सुनाया। याचिकाकर्ता वर्ष 2000 और 2013 के शासनादेशों के तहत अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे थे।
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क्या कहा कोर्ट ने?

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पद पर केवल खुली, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया के तहत ही नियुक्ति हो सकती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे योग्य व्यक्ति ही चुना जाए, जो कि बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के अधिकार को साकार करने में मदद करता है।
सरकारी आदेश क्यों हुए रद्द?

वर्ष 2000 और 2013 के शासनादेशों में अनुकंपा के आधार पर शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी गई थी, लेकिन कोर्ट ने पाया कि ये आदेश डाइंग इन हार्नेस रूल्स, 1999 के नियम पांच के खिलाफ हैं। साथ ही, ये आदेश ऐसे पदों पर भर्ती की इजाजत देते थे, जो अनुकंपा के दायरे में आते ही नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया सीमित लोगों को ही अवसर देती है और इस प्रक्रिया में सार्वजनिक भागीदारी नहीं होती, जिससे बेहतर योग्य उम्मीदवारों को बाहर कर दिया जाता है।

योग्यता का महत्व
कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल न्यूनतम योग्यता होना शिक्षक बनने के लिए पर्याप्त नहीं है। वास्तविक योग्यता का मूल्यांकन केवल प्रतिस्पर्धात्मक भर्ती प्रक्रिया से ही किया जा सकता है।

शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं
अंत में, कोर्ट ने दो टूक कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए शिक्षक चयन की प्रक्रिया में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। दोषपूर्ण नियुक्तियों से शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
नतीजा

कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि शिक्षक पदों पर नियुक्ति केवल पारदर्शी और सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया से ही होनी चाहिए और अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से संबंधित 2000 और 2013 के दोनों शासनादेशों को रद्द कर दिया।

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