धुलंडी पर बच्चों व युवाओं का उत्साह तो चरम पर रहा। बच्चों व युवाओं ने लाल, गुलाबी, हरे, पीले रंग व गुलाल से एक-दूसरे को रंगा। बच्चे तो पिचकारी लेकर दोपहर बाद तक होली खेलते रहे। वहीं बुजुर्गों के भाल पर तिलक लगाया और चरण छूकर आशीर्वाद लिया।
नौनिहालों को दिया आशीर्वाद
जिन घरों में पिछली होली के बाद नौनिहालों का जन्म हुआ। उनका ढूंढोत्सव मनाया गया। नौनिहालों की ढूंढ करने के लिए समाज के गेरिये चंग बजाते व गीत गाते हुए नौनिहालों के घर पहुंचे। वहां नौनिहालों को बुआ या बहन गोद में लेकर बैठी। गेरियों ने उसके ऊपर लकड़ियां बजाते व हरि-हरि रे हरियाली…गीत गाते हुए नौनिहालों को आशीर्वाद दिया। उनके जीवन में खुशहाली की प्रार्थना की। कई समाजों में सामूहिक ढूंढोत्सव का भी आयोजन किया गया।
व्यंजन खिलाकर की अगवानी
धुलण्डी पर रंग खेलने के बाद लोग शाम को मित्रों व परिजनों को होली की बधाई देने पहुंचे। छोटों ने बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। लोगों ने घर आने वाले आगन्तुकों का मिठाई व व्यंजन खिलाकर स्वागत किया। कई जगहों पर मोहल्लेवासियों व समाजबंधुओं की होली से शाम को गोठों का आयोजन किया गया।