क्या है चयन की प्रक्रिया?
बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन एक निर्वाचन प्रक्रिया के जरिए होता है, जिसमें एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) शामिल होता है। यह मंडल पार्टी के विभिन्न स्तरों के प्रतिनिधियों से बनता है। प्रक्रिया इस प्रकार है: - संगठनात्मक चुनाव: सबसे पहले बूथ, मंडल और जिला स्तर पर चुनाव होते हैं, जो राज्य स्तर तक पहुंचते हैं। आधे से अधिक राज्यों में ये चुनाव पूरे होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव शुरू होता है।
- नामांकन: उम्मीदवार नामांकन दाखिल करते हैं। आमतौर पर एक सहमति से चुना गया उम्मीदवार ही नामांकन भरता है, जिसे बाद में निर्विरोध “चुन लिया” जाता है।
- चुनाव (यदि आवश्यक हो): अगर एक से अधिक उम्मीदवार होते हैं और नामांकन वापसी की तारीख के बाद भी प्रतिस्पर्धा रहती है, तो सभी राज्य की राजधानियों में मतदान होता है। मतपेटियां दिल्ली लाई जाती हैं और मतगणना के बाद विजेता की घोषणा होती है। हालांकि, बीजेपी में परंपरा रही है कि सहमति से एक उम्मीदवार चुना जाता है, और वास्तविक चुनाव की नौबत कम ही आती है।
- अधिकतम कार्यकाल: संविधान के 2012 के संशोधन के बाद, एक अध्यक्ष लगातार दो कार्यकाल (प्रत्येक 3 साल का) तक पद पर रह सकता है।
कौन हैं प्रबल दावेदार?
फिलहाल बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कई नाम चर्चा में हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दावेदारों की सूची इस प्रकार है:
- मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री। उनकी संगठनात्मक क्षमता और RSS से नजदीकी उन्हें मजबूत दावेदार बनाती है।
- शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री। लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने और जनाधार के कारण उनका नाम प्रमुख है।
- भूपेंद्र यादव: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री। संगठन में उनकी सक्रियता और नीति-निर्माण में योगदान उन्हें दावेदारी में लाता है।
- धर्मेंद्र प्रधान: केंद्रीय शिक्षा मंत्री। ओडिशा से आने वाले इस नेता की संगठन और चुनावी रणनीति में मजबूत पकड़ है।
इसके अलावा, कुछ अन्य नाम जैसे दक्षिण भारत से दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (आंध्र प्रदेश) और वनाथि श्रीनिवासन (तमिलनाडु) भी चर्चा में हैं, क्योंकि बीजेपी दक्षिण में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। हालांकि, ये नाम अभी अनौपचारिक चर्चाओं तक सीमित हैं।
CEC करेगा आखिरी फैसला
बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव मार्च-अप्रैल 2025 तक होने की संभावना है, जो संगठनात्मक चुनावों के पूरा होने पर निर्भर करेगा। चयन प्रक्रिया में सहमति पर जोर रहता है, लेकिन औपचारिक चुनाव का प्रावधान भी मौजूद है। दावेदारों में खट्टर, चौहान, यादव और प्रधान जैसे नाम आगे हैं, पर अंतिम फैसला पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) और RSS के साथ विचार-विमर्श के बाद होगा।