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करुणा और उदार दृष्टिकोण के कारण कहलाए ‘पीपुल्स पोप’

88 वर्ष की उम्र में पोप फ्रांसिस का निधन उदारवाद, परंपरागत रुढि़वादिता को तोड़ खुलेपन और समावेशिता को तवज्जो देने वाले ‘पीपुल्स पोप’ फ्रांसिस अपने अनुयायियों को छोडक़र चले गए। उनका मूल नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक चर्च में करुणा और उदार दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया। उनसे पहले के पोप बेनेडिक्ट […]

जयपुरApr 24, 2025 / 01:25 am

Nitin Kumar

पोप फ्रांसिस की हालत गंभीर

88 वर्ष की उम्र में पोप फ्रांसिस का निधन

उदारवाद, परंपरागत रुढि़वादिता को तोड़ खुलेपन और समावेशिता को तवज्जो देने वाले ‘पीपुल्स पोप’ फ्रांसिस अपने अनुयायियों को छोडक़र चले गए। उनका मूल नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक चर्च में करुणा और उदार दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया। उनसे पहले के पोप बेनेडिक्ट रूढि़वादी विचारों के संरक्षक माने जाते थे, वहीं फ्रांसिस ने विनम्रता और मानवता का संदेश दिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को नैतिक मुद्दा बताया और वेटिकन की भव्य सुख-सुविधाओं को त्यागकर सादगी अपनाई। 2013 में उन्होंने रोम की एक जेल में कैदियों के पांव धोकर परंपरा तोड़ी। समलैंगिकों पर उनके ‘मैं कौन हूं जो न्याय करूं’ जैसे शब्दों ने उदारता दिखाई। उन्होंने वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाई, कार्डिनल कॉलेज का पुनर्गठन किया, ताकि अगले पोप का चयन अफ्रीका- एशिया जैसे क्षेत्रों से भी हो सके। चर्च में बाल यौन शोषण से जुड़ी गोपनीयता हटाई लेकिन पादरियों के खिलाफ पुराने यौन शोषण के मामलों से निपटने में अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
पर्सन ऑफ द ईयर रहे

अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमरीकी पोप थे। उनका जन्म भले ही अर्जेंटीना में हुआ, पर पारिवारिक जड़ें इटली से जुड़ी थीं। वर्ष 2013 में पोप फ्रांसिस टाइम मैगजीन की ओर से पर्सन ऑफ द ईयर नामित होने वाले पहले पोप बने। उनकी गर्मजोशी, विनम्रता और आम आदमी के प्रति स्नेह और समर्पण (बच्चों को आशीर्वाद देना, बीमारों से मिलना और सामाजिक न्याय के लिए आवाज उठाना) को देखते हुए उन्हें ‘पीपुल्स पोप’ कहा जाता था। पोप फ्रांसिस फुटबॉल के शौकीन रहे और अर्जेंटीना के सैन लोरेंजो फुटबॉल क्लब के सपोर्टर थे।
केमिस्ट्री और फिलॉसफी में पढ़ाई

पोप फ्रांसिस ने ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन और केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री ली। ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बनने से पहले 1964 से 1965 के बीच पोप फ्रांसिस ने सांता इमैकुलेट कॉन्सेप्शन कॉलेज में साहित्य और मनोविज्ञान पढ़ाया।
वेटिकनः पोप ही होते हैं प्रशासक

ईसा मसीह के बाद ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदाय रोमन कैथोलिक के सर्वोच्च धर्मगुरु को पोप कहा जाता है। पोप का अर्थ है पिता। ये दुनिया के सबसे छोटे देश वेटिकन के प्रशासक होते हैं। इटली के रोम शहर के पास स्थित इस स्वाधीन देश का क्षेत्रफल सिर्फ 44 हेक्टेयर है और लैटिन इसकी राजभाषा है। इस देश की जनसंख्या करीब 800 बताई जाती है। यहीं पर पोप का निवास है।
उत्तराधिकारी की दौड़ में शामिल 8 कार्डिनलः

पिएत्रो परोलिन, 70 वर्ष, इटली – वेटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट, फ्रांसिस के सबसे करीबी माने जाते हैं और उनके उत्तराधिकारी के रूप में पसंदीदा चेहरा हैं।
फ्रिडोलिन अंबोंगो बेसुंगु, 65 वर्ष, कांगो – अफ्रीका में समलैंगिकों को आशीर्वाद देने के दस्तावेज को अस्वीकार कर चर्चा में आए रूढ़िवादी नेता।

विम आइज्क, 71 वर्ष, नीदरलैंड – पूर्व मेडिकल डॉक्टर और सबसे कड़े रूढ़िवादियों में गिने जाते हैं, तलाकशुदा विवाह को लेकर पोप फ्रांसिस की राय के विरोधी।
पीटर एरदो, 72 वर्ष, हंगरी – यूरोपीय कैथोलिक राजनीति के अनुभवी चेहरे और विवाह की अमिटता के पक्षधर।

लुईस अंतोनियो टैगले, 67 वर्ष, फिलीपींस – “एशियाई पोप फ्रांसिस” कहे जाने वाले टैगले समावेशिता के पक्षधर और एशिया से पहले संभावित पोप।
रेमंड बर्क, 76 वर्ष, अमेरिका – लैटिन मिस्सा के समर्थक और पोप फ्रांसिस की उदार नीतियों के मुखर आलोचक।

मारियो ग्रेक, 67 वर्ष, माल्टा – समावेशिता की वकालत करने वाले और उन लोगों तक चर्च पहुँचाने के पक्षधर जो विवाह या लैंगिकता के कारण दूर हो गए।
मत्तेओ जुप्पी, 69 वर्ष, इटली – इटली के प्रभावशाली कार्डिनल, फ्रांसिस के खास, और शांति मिशनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले।

कैसे चुने जाएंगे ईसाई धर्म के नए पोप

266वें पोप, पोप फ्रांसिस दुनिया भर में 1.4 अरब लोगों के आध्यात्मिक गुरु थे। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन में 9 दिन का शोक घोषित किया गया है।
आइए समझते हैं नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया को –

1. पोप कौन होते हैं

पोप एक ग्रीक शब्द पप्पास से निकला है, जिसका अर्थ फादर या पिता होता है। बाइबिल के अनुसार चर्च के प्रमुख के रूप में काम करने वाले पहले पोप सेंट पीटर थे।
2. कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स क्या है

पोप का निधन होने या उनके इस्तीफा देने पर कैथोलिक चर्च का शासन कार्डिनल्स कॉलेज के पास चला जाता है। यह वह अधिकारी होते हैं, जिन्हें पोप व्यक्तिगत रूप से चुनते हैं। इन्में से सिर्फ 80 वर्ष से कम उम्र के अधिकारी जिन्हें कार्डिनल इलेक्टर्स कहा जाता है, वोट देकर नए पोप का चुनाव कर सकते हैं।
3. कितने कार्डिनल वोट देंगे, उनमें कितने भारतीय

कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स में अभी 252 सदस्य है जिसमें से 138 कार्डिनल्स वर्तमान में 80 वर्ष से कम आयु के हैं। भारत में फिलहाल छह कार्डिनल हैं, जिनमें से चार की आयु 80 वर्ष से कम है।
4. कैसे होता है चुनाव?

पोप की मृत्यु के 15 से 20 दिन बाद पोपल कॉन्क्लेव सभा का आयोजन होता है और कार्डिनल इलेक्टर्स को नए पोप के चुनाव तक सिस्टिन चैपल में बंद कर दिया जाता है। किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई मत प्राप्त होने तक हर दिन चार दौर का गुप्त मतदान होता है। सभी कार्डिनल एक-एक कर के जाते हैं और दो बार मुड़े हुए मतपत्र को एक बड़े प्याले में डालते है। अंत में जोर-जोर से बोलकर इन मतपत्रों की गिनती की जाती है और तीन रिकॉर्डर कार्डिनल इन्हें रिकॉर्ड करते हैं।
5. सफेद धुंआ-काला धुंआ क्या है?

कॉन्क्लेव के दौरान अगर किसी को आवश्यक दो-तिहाई मत प्राप्त हो जात है तो मतपत्रों को जला कर सफेद धुंआ किया जाता है जो सफल चुनाव को दर्शाता है। लेकिन चुनाव नहीं होने पर मतपत्रों को रसायनों के मिश्रण के साथ जला दिया जाता है, जिससे काला धुंआ निकलता है जो असफल मतपत्रों का संकेत होता है।
6. नए पोप की घोषणा कैसे होती है?

किसी कार्डिनल को आवश्यक दो-तिहाई वोट मिलने पर कार्डिनल्स कॉलेज के डीन ( वर्तमान में कार्डिनल जियोवानी बतिस्ता रे) पूछते हैं कि क्या आपको यह चुनाव स्वीकार है। इसे स्वीकार करने पर वह अपने लिए एक पैपल नाम चुनते हैं और जनता के सामने जाने से पहले पोप की वेशभूषा धारण करते हैं। फिर मतपत्रों को जला कर सफेद धुंआ किया जाता है और पोप के नाम का ऐलान होता है।
7. पोप चुनने के क्या नियम हैं?

एक पुरुष को ही पोप के तौर पर चुना जाता है। पोप बनने की कोई उम्र निर्धारित नहीं है। पोप फ्रांसिस को 76 साल की उम्र में चुना गया था। उनसे पहले पोप बेनेडिक्ट 16वें को 78 साल की उम्र में चुना गया था। उन्होंने 85 साल की उम्र में पद से इस्तीफा दे दिया था।

चार भारतीय कार्डिनल, जो करेंगे वोट
फिलिप नेरी फेराओ (72), गोवा और दमन… आर्कबिशप फेराओ भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन व एशियाई बिशप सम्मेलन के संघ के अध्यक्ष भी हैं।

बेसिलियोस क्लेमिस (64), तिरुवनंतपुरम… इसहाक थोट्टुमकल में जन्मे क्लेमिस त्रिवेंद्रम में स्थित सिरो-मलंकरा कैथोलिक चर्च के प्रमुख आर्कबिशप-कैथोलिकोस हैं।
एंथनी पूला (63), हैदराबाद… आर्कबिशप पूला ने भारत से पहला दलित कार्डिनल बनकर इतिहास रच दिया। उनकी नियुक्ति को समानता की दिशा में अहम कदम के रूप में देखा गया।

जॉर्ज जैकब कूवाकड (51), वेटिकन… सबसे कम उम्र के कार्डिनल्स में से एक कूवाकड वेटिकन के अंतरधार्मिक संवाद के लिए डिकास्टरी के प्रमुख हैं।

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