script#FairDelimitation : दक्षिण से उठी निष्पक्ष परिसीमन की मांग, ‘मौजूदा आबादी’ नहीं हो आधार | Demand for fair delimitation arose from the South, 'existing population' should not be the basis | Patrika News
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#FairDelimitation : दक्षिण से उठी निष्पक्ष परिसीमन की मांग, ‘मौजूदा आबादी’ नहीं हो आधार

तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों, कर्नाटक के डिप्टी सीएम व क्षत्रप दलों ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आह्वान पर निष्पक्ष परिसीमन की मांग को बलवती करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि इस परिसीमन का आधार मौजूदा आबादी नहीं होनी चाहिए। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे परिसीमन के खिलाफ […]

चेन्नईMar 22, 2025 / 05:01 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

#FairDelimitation : दक्षिण से उठी निष्पक्ष परिसीमन की मांग, ‘मौजूदा आबादी’ नहीं हो आधार
तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों, कर्नाटक के डिप्टी सीएम व क्षत्रप दलों ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आह्वान पर निष्पक्ष परिसीमन की मांग को बलवती करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि इस परिसीमन का आधार मौजूदा आबादी नहीं होनी चाहिए। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे मौजूदा जनसंख्या से जोड़कर उनको नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। अब तक परिसीमन को लेकर बयानबाजी हो रही थी। ऐसे में स्टालिन की अगुवाई में निष्पक्ष परिसीमन की मांग को लेकर पहली संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की बैठक शनिवार को चेन्नई में हुई। जेएसी की अगली बैठक हैदराबाद में होगी।

तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधि नहीं पहुंचा

बैठक में केरल के सीएम पिनराई विजयन, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान के अलावा कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, क्षेत्रीय कांग्रेस, वामदलों व अन्य क्षत्रप दलों के नेता शामिल हुए। बैठक में अज्ञात कारणों से तृणमूल कांग्रेस और आंध्रप्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस के प्रतिनिधि नहीं पहुंचे। हालांकि वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने इसी मौके पर इसी मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

राज्यों से परामर्श करें व आबादी का आधार बने 1971

लगभग तीन घंटे तक चली वार्ता के बाद सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जिसकी जानकारी द्रमुक लोकसभा सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने संवाददाता सम्मेलन में दी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के तहत जेएसी ने जोर दिया कि विभिन्न हितधारक राज्यों के साथ किसी भी परामर्श के बिना परिसीमन अभ्यास शुरू नहीं किया जाए। प्रस्ताव की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं :-
-परिसीमन अभ्यास में पारदर्शिता हो, ताकि सभी राज्यों के राजनीतिक दलों, सरकारों और अन्य हितधारकों को इसमें विचार-विमर्श, चर्चा और योगदान करने का अवसर मिल सके।

– 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों की मंशा के तहत आबादी नियंत्रण के प्रभावी उपाय करने वाले राज्यों के हितों की रक्षा की जाए और 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन हो तथा इसे अगले 25 वर्षों तक स्थाई कर दिया जाए।
– जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया है उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। – बैठक में प्रतिनिधित्व वाले राज्यों के सांसदों की कोर कमेटी बनेगी जो आगे की रणनीति तय करेगी और इसी सत्र में प्रतिवेदन के साथ पीएम से मिलेगी।- बैठक वाले दल अपने राज्यों की विधानसभा में निष्पक्ष परिसीमन को लेकर प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजेंगे।
– जेएसी समन्वित जनमत जुटाने की रणनीति के माध्यम से अपने-अपने राज्यों में जन-जागरूकता कार्यक्रम चलाएगी।

अमित शाह के आश्वासन पर संदेह

मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस आश्वासन को अस्पष्ट बताते हुए संदेह जताया है। शाह ने कहा था कि आगामी परिसीमन के कारण दक्षिण भारतीय राज्य संसदीय सीटें नहीं खोएंगे। स्टालिन ने चेतावनी दी कि राज्यों को मणिपुर जैसे हश्र से बचने के लिए प्रतिनिधित्व की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
बैठक में वे बोले कि प्रस्तावित परिसीमन से तमिलनाडु को कम से कम आठ सीटों का नुकसान होगा। “मणिपुर दो साल से जल रहा है और इसके लोगों की मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है क्योंकि उनके पास अपनी आवाज उठाने के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।”

प्रगतिशील राज्यों को सजा

स्टालिन ने तर्क दिया कि जनसंख्या के आकार के आधार पर पुनः आवंटन प्रगतिशील राज्यों के लिए सजा के समान होगा जबकि उत्तर-दक्षिण असमानताओं को गहरा करेगा। उन्होंने बैठक में स्पष्ट कर दिया कि हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह निष्पक्ष परिसीमन होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यहां एकत्र हुए प्रत्येक राज्य ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है लेकिन अगर हमारा प्रतिनिधित्व कम हो जाता है, तो यह युवाओं, लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए नीतियों को पीछे धकेल देगा। हमारी भाषा, संस्कृति और पहचान को नुकसान होगा। राजनीतिक शक्ति के बिना, हम अपनी ही जमीन पर गुलाम बन जाएंगे।”
TN CM Meeting on Fair Delimitation

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