हजारों साल दूसरों से रहे अलग-थलग शोध के मुख्य लेखक योहानस क्राउस का कहना है कि उस वक्त ताकरकोरी सूखा मरुस्थल नहीं था। जीनोम विश्लेषण से पता चला कि ताकरकोरी लोग गुमनाम मानव वंश का हिस्सा थे। वे हजारों साल तक उप-सहारा और यूरेशियन मानव वंशों से अलग रहे। वे पशुपालक थे। साइट से पत्थर, लकड़ी और जानवरों की हड्डियों से बने औजार, मिट्टी के बर्तन, बुनी हुई टोकरी और नक्काशीदार मूर्तियां भी मिली हैं।
उत्तरी अफ्रीका मूल का रहा होगा वंश वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन दो ताकरकोरी महिलाओं का वंश उत्तरी अफ्रीका के किसी इंसानी समुदाय से करीब 50,000 पहले अलग हुआ। यह वही कालखंड है, जब कुछ मानव वंश अफ्रीकी महाद्वीप से बाहर फैलते हुए मध्य पूर्व, यूरोप और एशिया की ओर जा रहे थे। बाद में यही लोग अफ्रीका के बाहर इंसानों के पूर्वज बने। ताकरकोरी वंश अपेक्षा से अधिक समय तक बाकी समूहों से अलग रहा।